प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
बेंगलूरु की ब्रिगेड एंटरप्राइजेज ने दांव लगाकर मुनाफा कमाने वाले खरीदारों का प्रोत्साहन रोकने के लिए 10:90 भुगतान योजना, सबवेंशन योजना या थोक बुकिंग पर बड़ी छूट की पेशकश से बचने का स्वेच्छा से परहेज किया है। इसका मकसद खुद को उस चक्र के रुझान में फंसने से बचाना है जो आम तौर पर हर कुछ वर्षों में रियल्टी बाजार में होता है। कंपनी की प्रबंध निदेशक पवित्रा शंकर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा, ‘हम अब भी बहुत परंपरागत तरीके से परियोजना में निवेश बनाए रखने के लिए ग्राहक को भुगतान कार्यक्रम और आवश्यकताएं मुहैया कराते हैं। इसलिए, भले ही वह कोई एनआरआई (खरीदार) हो, लेकिन तब भी मैं 10:90 योजना की पेशकश नहीं करने जा रही हूं। हम इस बात को लेकर काफी सतर्क हैं कि हम अधिक सट्टेबाजी वाले व्यवहार को प्रोत्साहित न करें।’
रियल एस्टेट में सट्टेबाजी वाला खरीदार आम तौर पर ऐसा निवेशक होता है, जो बुकिंग के समय डेवलपरों की किस्त भुगतान की पेशकश का उपयोग करके किसी भावी संपत्ति पर जल्दी से रिटर्न कमाना चाहता है और जिसका समय के साथ कीमतें बढ़ने पर इसे किसी अन्य खरीदार को अधिक दामों पर बेचने का इरादा होता है।
डीएलएफ जैसी रियल्टी कंपनियां ओवरट्रेडिंग वाले सट्टेबाजों के से बचने की कोशिश कर रही हैं, जो भुगतान योजनाओं का लाभ तो उठाते हैं, लेकिन बुकिंग के लिए पैसे नहीं जुटा पाते हैं, जिससे डेवलपरों के लिए स्टॉक के साथ-साथ रकम जुटाने की समस्या भी हो जाती है। शंकर ने कहा, ‘मैं कुछ मामलों में कारोबार गंवा चुकी हूं क्योंकि हमने बुकिंग के समय स्थानांतरण शुल्क माफ करने से इनकार कर दिया है।’
रियल एस्टेट की यह दिग्गज कंपनी साल 2025-26 (वित्त वर्ष 26) में अपने शहर बेंगलूरु, चेन्नई, हैदराबाद और मैसूर में आवासीय, कार्यालय तथा होटलों के लिए 1.6 करोड़ वर्ग फुट की परियोजनाएं शुरू करने की योजना बना रही है। इसके अलावा कंपनी इन श्रेणियों में नए अवसरों पर भी ध्यान देना जारी रखेगी, भले ही उसे बेंगलूरु के बाजार में प्रवेश करने वाली नई कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा हो।