भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम अगर मई से आगे टलता है तो सरकार नए सिरे से कंपनी की कीमत आंक सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले साल 30 सितंबर को एलआईसी का मूल्यांकन 5.4 लाख करोड़ रुपये किया गया है। किंतु यदि आईपीओ नियामक द्वारा मंजूर 12 मई की तय सीमा के बाद आता है तो कंपनी का मूल्यांकन दोबारा किया जाएगा। इससे एलआईसी के बाजार मूल्य पर असर पड़ सकता है क्योंकि अभी आंतरिक स्तर पर अंतर्निहित मूल्य के 3 से 4 गुना मूल्यांकन का अनुमान लगाया गया है।
एक अधिकारी ने कहा कि पहले सरकार ने मार्च के दूसरे हफ्ते में एलआईसी का आईपीओ लाने की योजना बनाई थी लेकिन रूस-यूक्रेन युद्घ के कारण शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आया है। ऐसे में अगर इसे 12 मई के बाद सूचीबद्घ कराने का फैसला होता है तो भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास नए सिरे से अद्यतन मूल्यांकन के साथ आवेदन करना होगा। सेबी के पास जमा कराए गए डीआरएचपी में 30 सितंबर तक का वित्तीय विवरण दिया गया था। हालांकि बीमा कंपनी ने पिछले हफ्ते सितंबर-दिसंबर तिमाही के वित्तीय नतीजों की भी घोषणा की है।
अधिकारी ने कहा कि मौजूदा नियामकीय मंजूरी के तहत सरकार और एलआईसी के पास सूचीबद्घता के लिए 12 मई तक का समय है। एलआईसी ने 13 फरवरी को सेबी के पास डीआरएचपी जमा कराया था और पिछले हफ्ते ही उसे नियामक से आईपीओ लाने की मंजूरी मिली है।
बाजार नियामक से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर केंद्र निर्गम के लिए जल्द ही आरएचपी दाखिल करेगा, जिसमें निर्गम के आकार, मूल्य दायरे आदि का उल्लेख होगा। सरकार को उम्मीद है कि वह 12 मई से पहले एलआईसी का आईपीओ ले आएगी। इसे देश का अब तक का सबसे बड़ा निर्गम माना जा रहा है।
उक्त अधिकारी ने कहा कि सरकार बाजार में उतार-चढ़ाव पर रोज नजर रख रही है और स्थिति का आकलन कर रही है। बाजार में उतार-चढ़ाव का पैमाना कहलाने वाला इंडिया वीआईएक्स सूचकांक फरवरी के अंत में 32 के उच्च स्तर पर पहुंच गया था जो अब 25 पर आ गया है। हालांकि इससे ज्यादा उतार-चढ़ाव का संकेत मिलता है। सामान्य तौर पर इसका 14 से 15 पर रहना ही सही कहा जाता है। बाजार में स्थिरता आने के बाद आईपीओ पर निर्णय लिया जाएगा।
सरकार जल्दबाजी में आईपीओ नहीं लाना चाह रही है क्योंकि इससे एलआईसी के मूल्यांकन पर असर पड़ सकता है और सभी श्रेणियों के निवेशकों का निवेश प्रभावित हो सकता है।
मंत्रिसमूह ने निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को आईपीओ लाने का समय तय करने का जिम्मा सौंपा है, जो निवेशकों और मर्चेंट बैंकर से परामर्श करके आईपीओ पर निर्णय करेगा। निवेशकों और मर्चेंट बैंकरों की राय है कि आईपीओ जल्दबाजी में नहीं लाना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि सरकार भी उनकी राय से सहमत है।
केंद्र सरकार एलआईसी में आईपीओ के जरिये 5 फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश की संभावना देख रही है। बाजार को उम्मीद है कि एलआईसी के 13 लाख करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर निर्गम का आकार 60,000 से 65,00 करोड़ रुपये हो सकता है। हालांकि अभी बीमाकर्ता के मूल्यांकन के बारे में स्पष्टता नहीं है।