प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियम बढ़ाएंगे अनुपालन बोझ

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:25 AM IST

उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से प्रस्तावित नए ई-कॉमर्स नियम का असर स्विगी, जोमैटो, बिग बॉस्केट सहित कुछ अन्य क्षेत्रों कंपनियों पर पड़ेगा। इससे कंपनियों का अनुपालन बोझ बढ़ेगा। 
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि टैक्सी सेवा प्रदाताओं जैसे ओला, उबर और फूड एग्रीगेटरों जैसे जोमैटो, स्विगी, ऑनलाइन किराना स्टोर जैसे बिग बॉस्केट सहित अन्य कई कंपनियां प्रस्तावित उपभोक्ता संरक्षण नियम के दायरे में आएंगे। 
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ग्राहर संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 में बदलाव का प्रस्ताव किया है। मसौदे के मुताबिक ये नियम ‘डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर बेचे जाने वाली सभी वस्तुओं व सेवाओं और डिजिटल उत्पादों पर लागू होंगे।’ मंत्रालय ने सोमवार को संबंधित हिस्सेदारों से इस पर 6 जुलाई तक प्रतिक्रिया देने को कहा है। 
इस व्यापक परिभाषा के बारे में उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘एमेजॉन, फ्लिपकार्ट से लेकर नेटफ्लिक्स, उबर, ओला सहित सभी कंपनियां इसके दायरे में आ जाएंगी। कोई भी चीज ऑनलाइन बेचने वाले ई-कॉमर्स के रूप में वर्गीकृत होंगे।’ 
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ई-कॉमर्स नियम सभी कंपयिनों पर लागू होंगे, चाहे व घरेलू हों या एफडीआई।’ 
मसौदा नियमोंं का अधध्यन कर रहे उद्योग के बीच चिंता का विषय यह है कि ई-टेलर्स का उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) में पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा, जो इन कंपनियों को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए नियामकीय अनुपालन बढ़ाने की कवायद होगी। इसका यह मतलब हो सकता है कि उपरोक्त उल्लिखित कंपनियों को, जो उपभोक्ताओं को उत्पाद बेचती हैं, उन्हें डीपीआईआईटी में पंजीकरण कराना होगा। 
उद्योग के अधिकारियों ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा कि यह नियम व्यक्तिगत व्याख्याओं के अधीन होंगे। उन्होंने कहा ‘फालबैक लाइबिलिटी’ और ‘मिल सेलिंग’ की परिभाषाएं समस्या पैदा करने वाली हैं।

First Published : June 22, 2021 | 11:49 PM IST