कई भारतीय प्रवर्तक अब अपनी-अपनी कंपनियों से कार्यकारी की भूमिका छोड़कर गैर-कार्यकारी की भूमिका पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। गैर-कार्यकारी की भूमिका अपनाने वालों की सूची में नया नाम वाडिया समूह के जेह वाडिया का है, जिन्होंने बॉम्बे डाइंग व गो एयर के प्रबंध निदेशक का पद छोड़ दिया।
इससे पहले इन्फोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजिज, एमऐंडएम, टीवीएस मोटर, एवेन्यू सुपरमाट्र्स के प्रवर्तक कार्यकारी भूमिका छोड़कर गैर-कार्यकारी की भूमिका अपना चुके हैं। कानूनी विशेषज्ञों ने कहा, प्रवर्तकों की तरफ से कार्यकारी भूमिका छोडऩे के मामले में कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं है, लेकिन नियामकीय व शेयरधारकों की तरफ से बढ़ती तहकीकात के कारण वे अपना पद छोड़ रहे हैं।
वकीलों ने कहा, बाजार नियामक सेबी ने हालांकि प्रवर्तकों को प्रबंध निदेशक व चेयरमैन का पद अलग-अलग करने को कहा है और कई कंपनियां इस सलाह पर अमल कर रही हैं। उत्तराधिकार की योजना पर कई समूह को सलाह देने वाले एक अग्रणी वकील ने कहा, चूंकि भारतीय कंपनियां वैश्विक बाजार में उतर रही हैं और विदेशी निवेशक अपना निवेश बढ़ा रहे हैं, ऐसे में प्रवर्तकों पर अपना कार्यभार और ज्यादा पेशेवर प्रबंधन पर देने का दबाव है।
उदाहरण के तौर पर टीवीएस मोटर ने 25 मार्च को ऐलान किया कि साल 2023 में राल्प स्पेथ निदेशक मंडल में वेणु श्रीनिवासन की जगह चेयरमैन का पदभार संभालेंगे। श्रीनिवासन ने कहा, हम ऐसा चेयरमैन चाहते हैं जो कंपनी को बेहतर व तेज गति से आगे ले जाने का रास्ता दिखा सके।
पिछले साल ब्रिटिश ब्रांड नॉर्टन के अधिग्रहण के बाद टीवीएस की महत्वाकांक्षा वैश्विक बाजार में उतरने की है और कंपनी खुद का प्रीमियम मोटर साइक्लिंग प्रॉडक्ट विकसित कर रही है।
इसी तरह गो एयर ने स्पिरिट एयरलाइंस के पूर्व सीईओ को वाइस चेयरमैन नियुक्त किया है क्योंंकि वह आरंभिक सार्वजनिक निर्गम लाने की तैयारी कर रही है। जेह हालांकि निदेशक मंडल में बने रहेंगे। एक बड़ी फर्म के प्रवर्तक ने कहा, होल्डिंग कंपनियों को छोड़कर, प्रवर्तक रोजाना के कामकाज से दूर हो रहे हैं और यह काम विशेषज्ञों के हवाले कर रहे हैं।
आदित्य बिड़ला समूह में समूह की सभी कंपनियों का परिचालन प्रोफेशनल प्रबंधन प्रवर्तक कुमार मंगलम बिड़ला के साथ मिलकर कर रहे हैं और बिड़ला निदेशक मंडल की अगुआई कर रहे हैं। समूह के एक अधिकारी ने कहा, विचार है परिचालन पर नजर रखने का।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि कई कंपनियां टाटा समूह का मॉडल अपनाना चाहती हैं जहां समूह और संबंधित कंपनियों का परिचालन प्रोफेशनल कर रहे हैं और वे बेहतर कर रहे हैं। एक वकील ने कहा, साल 2016 के बाद से कई कंपनियों का दिवालिया होना बताता है कि प्रवर्तकों की तरफ से होने वाला परिचालन कामयाबी की गारंटी नहीं हो सकती। कई कंपनियां बंद हो गईं या कर्ज भुगतान में चूक की क्योंकि समय के साथ उसने खुद में बदलाव नहीं किया या प्रोफेशनल मैनेजरों को पूरी आजादी दी और वहां के नतीजे हर कोई देख सकता है। उन्होंने कहा, हर प्रबंधन के लिए कोई एक फॉर्मूला हालांकि नहीं होता, लेकिन प्रोफेशनल मैनेजमेंट को रखने का मतलब बनता है और बोर्ड को कंपनी पर नजर रखनी चाहिए और उसे बदलते बाह्य परिस्थितियों से बचाना चाहिए।
