बीएस बातचीत
जेएसडब्ल्यू स्टील ने दिसंबर तिमाही में दमदार प्रदर्शन किया है। तिमाही के दौरान जबरदस्त मांग परिदृश्य के कारण कीमतों में तेजी आई जिससे उपयोगकर्ता उद्योगों में असंतोष दिखा। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं ग्रुप सीएफओ शेषगिरि राव ने ईशिता आयान दत्त से बातचीत में कहा कि पहली तिमाही में निचले स्तर तक जाने के बाद बाजार में सुधार हुआ है लेकिन वैश्विक कीमतों में कहीं अधिक वृद्धि हुई है। पेश हैं मुख्य अंश:
क्या यह जेएसडब्ल्यू स्टील के लिए सबसे अच्छा तिमाही नतीजा है?
प्रति टन एबिटा के लिहाज से यह दूसरा सबसे अच्छा तिमाही नतीजा है। लेकिन समेकित और एकल आधार पर एबिटा के लिहाज से यह सबसे अच्छी तिमाही है।
कीमत को लेकर उपयोगकर्ता उद्योगों की चिंता के मद्देनजर क्या आप बजट में कुछ नीतिगत पहल किए जाने की उम्मीद करते हैं?
हम उपयोगकर्ता उद्योगों की चिंताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे तथ्यों पर आधारित होने चाहिए। बेवजह ऐसे आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं कि भारत में इस्पात की कीमतें बढ़ रही हैं, यह सही नहीं है। हम पिछले छह महीनों से भारत के और वैश्विक आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं। अप्रैल में कीमत $394 डॉलर प्रति टन थी जबकि दिसंबर में चीन में यह बढ़कर 710 डॉलर प्रति टन हो गया था। इसलिए चीन में इस्पात की कीमतों में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसी अवधि में अमेरिका में इस्पात की कीमतों में 119 फीसदी और यूरोप में 84 फीसदी की वृद्धि हुई। भारत में कीमत 35,000 रुपये प्रति टन थी और दिसंबर में वह 53,000 रुपये प्रति टन हो गई जो 51 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। यदि यह कहा जा रहा है कि इस्पात की कीमतें बढ़ रही हैं तो इसका मतलब है कि वैश्विक स्तर पर कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर नहीं बढऩी चाहिए। ऐसा करना संभव है वशर्ते लागत पर कोई दबाव न हो। लेकिन जून तिमाही में इस्पात कंपनियों ने 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा दर्ज किया था। जून में लौह अयस्क की कीमत 82 डॉलर प्रति टन थी और दिसंबर में वह बढ़कर 159 डॉलर प्रति टन हो गईअजो वैश्विक स्तर पर 94 फीसदी अधिक थी। भारत में एनएमडीसी की जून में कीमत 1,960 रुपये थी और दिसंबर में वह बढ़कर 4,610 रुपये हो गई जो 135 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती है। भारत में कीमतें वैश्विक स्तर तक नहीं गई हैं।
पिछले कुछ सप्ताह के दौरान चीन में इस्पात की कीमतों में नरमी आई है और भारत में द्वितीयक उत्पादों की कीमतों में नरमी आई। क्या अब कीमतों में नरमी शुरू हो गई है?
फिलहाल द्वितीयक कंपनियों के लिए टीएमटी की कीमतों में नरमी आई है लेकिन मांग के लिहाज से बाजार में किसी समस्या की ओर इशारा नहीं करती है। मांग और आपूर्ति के संबंध में प्राथमिक उत्पादकों के लिए मुझे कोई समस्या नहीं दिख रही है।
पहली तिमाही में क्षमता विस्तार के लिए आपकी क्या योजना है?
जहां तक उत्खनन का सवाल है तो डोल्वी परियोजना में कुछ देरी हो सकती है क्योंकि हमें उपकरणों के लिए आपूर्तिकर्ता नहीं मिले हैं। इसके अलावा विदेश से निगरानी एवं तकनीक के आपूर्तिकर्ता भी नहीं मिल हैं। इससे परियोजना को 31 मार्च 2021 तक पूरा करने में परेशानी होगी और वह अगली तिमाही तक खिंच जाएगी। लेकिन अधिकतर इकाइयां 31 मार्च तक चालू हो जाएंगी। विजयनगर में 10 लाख टन अतिरिक्त क्षमता पहली तिमाही में चरणबद्ध तरीके से शुरू होगी।
उत्तम गैल्वा के लिए आपने अभिरुचि पत्र जमा कराया है। क्या आप बोली लगाएंगे?
हम उत्खनन (अपस्ट्रीम) क्षमता बढ़ा रहे हैं- डोल्वी में 50 लाख टन और विजयनगर में 10 लाख टन। इसके अलावा वितरण कारोबार (डाउनस्ट्रीम) में विस्तार के लिए भी कुछ कदम उठाए गए हैं। इसलिए डाउनस्ट्रीम में एशियन कलर जैसी किसी भी संभावना का आकलन किया जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए हमने उत्तम गैल्वा के लिए अभिरुचि पत्र जमा किया है।