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डीएचएफएल के लिए पीरामल को मंजूरी

Last Updated- December 12, 2022 | 3:56 AM IST

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने वित्तीय दिक्कतों से गुजर रही दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के लिए पीरामल समूह की समाधान योजना को आज मंजूरी दे दी। डीएचएफएल वर्ष 2019 से दिवालिया प्रक्रिया से जूझ रही है।
पीरामल समूह की तरफ से पेश की गई समाधान योजना को ऋणदाताओं की समिति (सीओसी), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) पहले ही मंजूरी दे चुके हैं। इस योजना के तहत 37,250 करोड़ रुपये देने की पेशकश की गई है, जिसमें 12,700 करोड़ रुपये की पेशगी नकदी, 3,000 करोड़ रुपये की ब्याज आमदनी और 10 साल में चुकाए जाने वाले 19,550 करोड़ रुपये के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर शामिल हैं।
एक सूत्र ने कहा, ‘समाधान योजना को एनसीएलटी ने मंजूरी दे दी है। एनसीएलटी के स्तर पर कंपनी दिवालिया समाधान प्रक्रिया पूरी हो गई है।’ दिवालिया न्यायाधिकरण ने पूरी योजना को मंजूरी दे दी है, लेकिन सावधि जमाकर्ताओं और छोटे निवेशकों के लिए धन का फिर से आवंटन करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इसने योजना सीओसी को वापस भेजने के बजाय कहा है कि अंतिम फैसला ऋणदाताओं पर छोड़ा जाए, जो अपनी कारोबारी समझ के मुताबिक उचित फैसला लेंगे। एनसीएलटी ने समाधान योजना की प्रति हासिल करने की पूर्व प्रवर्तक की याचिका खारिज कर दी है।    
पीरामल समूह ने एक बयान में कहा, ‘डीएचएफएल के लिए हमारी समाधान योजना को माननीय एनसीएलटी की मंजूरी मिलने से हम खुश हैं। इसे 94 फीसदी ऋणदाताओं ने सहमति दी है और आरबीआई तथा सीसीआई ने भी मंजूरी दे दी हैं। इससे पता चलता है कि हमारी बोली कितनी मजबूत और बढिय़ा है।’ बयान में आगे कहा गया कि यह भारत की सबसे बड़ी ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया (आईबीसी) प्रक्रियाओं में शुमार है और वित्तीय क्षेत्र में आईबीसी का यह पहला मामला है। इस लिहाज से यह सकारात्मक है और भविष्य के लिए दिशा तय करता है। एनसीएलटी की मंजूरी डीएचएफएल के समाधान में महत्त्वपूर्ण पड़ाव है और बताता है कि देश में आईबीसी की प्रक्रिया कितनी साफ है। पीरामल समूह ने इससे जुड़े सभी प्राधिकरणों, नियामकों, ऋणदाताओं और निवेशकों के साथ सहयोग का संकल्प जताते हुए समाधन प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी होने की उम्मीद जताई।
एनसीएलटी के आदेश के बाद पीरामल समूह का शेयर करीब 2 फीसदी चढ़कर 1,960.75 रुपये पर पहुंच गया है। डीएचएफएल का शेयर भी 10 फीसदी उछल गया।
इस बीच डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगाने को कहा है। एनसीएलएटी ने एनसीएलटी के मुंबई पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीओसी को वधावन की समाधान पेशकश पर विचार करने को कहा गया था। वधावन ने कहा है कि उनकी समाधान पेशकश सफल समाधान आवेदक (पीरामल समूह)की पेशकश से 50,000 करोड़ रुपये अधिक है, इसलिए सीओसी को योजना की वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर तो विचार करना ही चाहिए।

First Published - June 7, 2021 | 11:34 PM IST

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