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विजय शेखर शर्मा को ESOP देने का मामला, सहमति से निपटान चाहती है पेटीएम

मामले की गंभीरता के आधार पर सेबी जुर्माना चुकाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करता है या बाजार में पाबंदी लगा सकता है या दोनों कदम उठा सकता है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 26, 2024 | 9:24 PM IST

डिजिटल भुगतान दिग्गज वन97 कम्युनिकेशंस (पेटीएम) ने एम्पलॉयी स्टॉक ऑप्शन (ईसॉप) जारी करने में नियमों के संभावित उल्लंघन के मामले में बाजार नियामक सेबी के पास निपटान आवेदन जमा कराया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। इससे पहले बाजार नियामक ने इस साल कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसके बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है।

पेटीएम ने वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया था कि प्रबंध निदेशक व सीईओ को 2.1 करोड़ ईसॉप दिए जाने के मामले में कंपनी को सेबी से कारण बताओ नोटिस मिला है जो सेबी के शेयर बेस्ड एम्पलॉयी बेनिफिट्स ऐंड स्वेट इक्विटी नियमन के अनुपालन को लेकर था। कंपनी ने शुरुआती जवाब जमा कराया है और इस संबंध में सेबी से और सूचना हासिल करने की प्रक्रिया में है।

सहमति से निपटान के तहत कथित तौर पर गलत करने वाला सेबी के साथ मामले का निपटान गलती स्वीकार करके या इससे इनकार के साथ कर सकता है। मामले की गंभीरता के आधार पर सेबी जुर्माना चुकाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करता है या बाजार में पाबंदी लगा सकता है या दोनों कदम उठा सकता है। सूत्रों ने कहा, कारण बताओ नोटिस छह महीने पहले दिया गया था। पेटीएम ने सहमति वाला आवेदन जमा कराया है। अभी यह याचिका प्रक्रियाधीन है।

इस बारे में पेटीएम और सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। पेटीएम का शेयर सोमवार को 4.4 फीसदी टूटकर 530 रुपये पर बंद हुआ। हालांकि कारोबारी सत्र के दौरान यह 9 फीसदी तक टूट गया था। पेटीएम ने वित्त वर्ष 22 में विजय शेखर शर्मा को ईसॉप्स दिए थे।

सेबी का नियम 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी वालों को ईसॉप जारी करने की इजाजत नहीं देता। कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि संभव है कि सेबी ने विजय शेखर शर्मा को दिए ईसॉप पर एतराज जताया हो क्योंकि कागज पर भले ही उनकी हिस्सेदारी महज 9.1 फीसदी है लेकिन उनके वोटिंग अधिकार काफी ज्यादा हैं।

एक साल पहले विजय शेखर शर्मा ने चीन के एंट समूह के साथ 10.3 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण 100 फीसदी स्वामित्व वाली विदेशी इकाई रे​जिलिएंट ऐसेट मैनेजमेंट के जरिये करने के लिए करार किया था। इस सौदे का ढांचा इस तरह बनाया गया था कि 10.3 फीसदी हिस्सेदारी की आर्थिक वैल्यू एंटफिन के पास रहे लेकिन वोटिंग अधिकार रेजिलिएंट ने अपने पास रखे। इसके अतिरिक्त विजय शेखर शर्मा के पास अपने फैमिली ट्रस्ट के जरिये अप्रत्यक्ष तरीके से 4.87 फीसदी और हिस्सेदारी है।

विजय शेखर शर्मा ने पिछले साल एंटफिन के साथ करार किया था जिसके बाद गवर्नेंस फर्म इंस्टिट्यूशन इन्वेस्टर्स एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने सवाल उठाया था कि क्या उन्हें प्रवर्तक के तौर पर वर्गीकृत किया जाना चाहिए। शर्मा अभी सामान्य शेयरधारक के तौर पर वर्गीकृत हैं।

बाजार नियामक ने हाल में ऐसे मामलों में कड़ा रुख अख्तियार किया है जहां बड़े शेयरधारक प्रवर्तक के तौर पर वर्गीकृत नहीं हैं, लेकिन उनके पास नियंत्रक हिस्सेदारी या भूमिका थी। कई फर्मों को अपने मसौदा दस्तावेजों में संशोधन करना पड़ा था जब शेयरधारकों को प्रवर्तक के दौर पर दोबारा वर्गीकृत करने को लेकर सेबी के दिशानिर्देश आए।

प्रवर्तक का तमगा इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसके साथ ज्यादा जवाबदेही जुड़ी होती है। सूत्रों ने कहा कि इस मामले में नया कारण बताओ नोटिस जारी नहीं हुआ है। हालांकि फर्म निपटान की प्रक्रिया में है। मामले से सीधे जुड़े सूत्र ने कहा कि फर्म को करीब छह महीने पहले कारण बताओ नोटिस मिला था और वह ​इसके निपटान की कोशिश में जुटी है। यह मामला अभी प्रक्रियाधीन है।

First Published : August 26, 2024 | 9:24 PM IST