पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण ने कथित तौर पर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय से माफी मांगी। बालकृष्ण की ओर से जारी हलफनामे में कहा गया है, ‘खेद है कि विज्ञापन (जिसमें केवल सामान्य कथन शामिल थे) में अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य शामिल हो गए।’
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक बाबा रामदेव और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण से उनके और कंपनी के खिलाफ (भ्रामक विज्ञापन मामले में) अदालत के अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने की वजह से 2 अप्रैल को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा। न्यायालय ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद और बालकृष्ण को पिछले ऑर्डरों की अनदेखी करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया था।
उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए अपने उत्पादों की क्षमता के बारे में झूठे और भ्रामक दावों का प्रचार जारी रखा था। कंपनी और बालकृष्ण, दोनों से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा गया था। बालकृष्ण ने गुरुवार को अदालत को बताया ‘वह इसका ध्यान रखेंगे कि ऐसे विज्ञापन भविष्य में जारी नहीं किए जाएं।’
उन्होंने कहा कि उनका इरादा केवल इस देश के नागरिकों को एक ऐसी आयुर्वेदिक कंपनी के उत्पादों का उपयोग कर स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था, जिसमें आयुर्वेदिक अनुसंधान द्वारा पूरक और सदियों पुराने साहित्य और सामग्रियों के उपयोग के माध्यम से जीवनशैली संबंधी बीमारियों के उपचार के उत्पाद भी शामिल हैं।
अदालत ने शुरू में कहा था कि रामदेव और बालकृष्ण ने ड्रग्स ऐंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवर्टाइजमेंट्स) ऐक्ट, 1954 की धारा 3 और 4 का उल्लंघन किया था। न्यायालय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर कराई गई याचिका की सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप लगाया गया कि योग गुरू और उनकी कंपनी ने कोविड-19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ ‘अभियान’ शुरू कर दिया था।