देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी पैंटालून रिटेल का तीसरी तिमाही के शुद्ध मुनाफे में महज 7.07 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
कंपनी का यह परिणाम विश्लेषकों की अपेक्षा से बहुत कम है। हालांकि विश्लेषकों को पैंटालून के मुनाफे में 30 फीसदी की वृद्धि का अनुमान था। कंपनी के मुताबिक, जनवरी से मार्च 2009 की तीसरी तिमाही के दौरान कंपनी का शुद्ध मुनाफा 34.37 करोड़ रुपये रहा।
गौरतलब है कि जनवरी से मार्च 2008 के दौरान पैंटालून का शुद्ध मुनाफा 32.10 करोड़ रुपये रहा था। पैंटालून का वित्त वर्ष जुलाई-जून तक चला करता है। विश्लेषकों के मुताबिक, कंपनी द्वारा ब्याज के मद में ज्यादा राशि का भुगतान कम मुनाफे की वजह रही है। दरअसल, तीसरी तिमाही में कंपनी के ब्याज में 98 फीसदी की वृद्धि हुई है।
जनवरी-मार्च 2009 के दौरान कंपनी ने जहां 84.73 करोड़ रुपये का भुगतान किया। जनवरी-मार्च 2008 के दौरान कंपनी ने महज 42.87 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में भुगतान किया था। 30 जून 2008 तक इस कंपनी पर कुल 2,700 करोड़ रुपये का कर्ज था। अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होते-होते कंपनी का कर्ज 3,000 करोड़ रुपये की सीमा को छू जाएगा।
मालूम हो कि कंपनी अपने कर्ज पर अभी 11 फीसदी का औसत ब्याज अदा कर रही है। पैंटालून रिटेल की कुल बिक्री तीसरी तिमाही में 21.24 फीसदी बढ़कर 1,642 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,354.34 करोड़ रुपये थी। कंपनी का परिचालन मुनाफा भी 2.08 फीसदी बढ़कर 10.63 फीसदी हो गया, जो साल भर पहले 8.55 फीसदी रहा था।
हालांकि कंपनी की भंडार लागत और कर्मचारी खर्च में क्रमश: 47.41 और 4.1 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष के अंत में कंपनी का कर्ज-पूंजी अनुपात 1.19:1 था। धन उगाहने की नई योजना के बाद इस अनुपात में कमी आने का अनुमान है।
