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Goldman Sachs ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज संकट को लेकर जारी की चेतावनी — ब्रेंट क्रूड की कीमत जा सकती है $110 के पार

गोल्डमैन सैक्स ने कहा, होर्मुज स्ट्रेट की आवाजाही घटने से ब्रेंट क्रूड की कीमतें 110 डॉलर तक जा सकती हैं, भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका सीमित लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव होगा।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- June 23, 2025 | 10:28 PM IST

गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि अगर होर्मुज स्ट्रेट से तेल की आवाजाही  एक महीने के लिए 50 प्रतिशत कम हो जाती है और अगले 11 महीने तक 10 प्रतिशत कम रहती है तब ब्रेंट क्रूड की कीमतें कुछ समय के लिए 110 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है। सोमवार को जारी एक नोट में बैंक ने कहा कि ऐसी स्थिति में 2025 की चौथी तिमाही में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 95 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर हो जाएंगी।

बेहद गंभीर स्थिति में भी जहां ईरान के उत्पादन में कमी आएगी तब भी ब्रेंट की कीमतें अधिकतम 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर होंगी लेकिन 2026 तक 70-80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर स्थिर हो जाएंगी क्योंकि वैश्विक भंडार में कमी आएगी और इससे अतिरिक्त क्षमता  कम हो जाएगी। ताजा पूर्वानुमान तब आया है जब सिटीग्रुप ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर होर्मुज स्ट्रेट बंद होता है तब तेल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर सकती हैं।

हालांकि कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का मानना है कि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के पास 60 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) की महत्वपूर्ण अतिरिक्त क्षमता बची होने के कारण तेल की कीमतों में कमी आएगी। इसने सोमवार को कहा, ‘कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से अधिक होने पर अमेरिका के उत्पादन में और बढ़त देखी जा सकती है। हम उम्मीद नहीं करते हैं कि तेल की कीमतें लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी और वित्त वर्ष 2026-27 (अनुमानित) के लिए तेल की कीमतों का अनुमान 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर है।’

13 जून को संघर्ष शुरू होने के बाद से ही कच्चे तेल की कीमतें 13 प्रतिशत तक बढ़ी हैं जबकि डब्ल्यूटीआई में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़त हुई है। ब्रेंट वायदा सोमवार को 5 महीने के उच्च स्तर 78 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। हालांकि खबर लिखे जाने तक यह कम होकर 75.4 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में अनुमानित 10 प्रतिशत की वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता है जहां बुनियादी चीजें मजबूत हैं लेकिन निश्चित तौर पर लंबे समय तक इसका प्रभाव नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा, ‘अगर कच्चे तेल की कीमतें लंबे समय तक 100 डॉलर से ऊपर रहती हैं तब इसका मतलब यह है कि आधारभूत धारणा में वास्तव में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी और इन वेरिएबल पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।’

स्ट्रेट बंद होने का असर

अनुमान लगाने वाले बाजार पॉलिमार्केट के आंकड़ों का हवाला देते हुए गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि बाजार अब 2025 में ईरान द्वारा होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने की 52 प्रतिशत की संभावना का अनुमान लगा रहे हैं। हालांकि इसने इस बात पर जोर दिया कि इन मंचों पर नकदी सीमित होती है।

ईरान की सरकारी मीडिया के मुताबिक एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए ईरान की संसद ने रविवार को संकरे, रणनीतिक जलमार्ग को बाधित करने के लिए आपातकालीन उपायों की अनुमति देने के लिए मतदान किया। हालांकि अंतिम निर्णय देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को लेना है।

गोल्डमैन सैक्स के अनुमान के मुताबिक ईरान की तेल आपूर्ति में 17.5 लाख बीपीडी की छह महीने की लंबी कटौती के कारण ब्रेंट क्रूड की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच सकती हैं हालांकि बाद में 2026 में 60 डॉलर के दायरे में आने से पहले इसमें धीरे-धीरे सुधार हो सकता है।

First Published : June 23, 2025 | 10:21 PM IST