Laptop Tablet Ban: भारत में लैपटॉप, टैबलेट औऱ पीसी के आयात नियमों में सरकार ढील देने जा रही है। गुरुवार को सरकारी अधिकारियों ने बताया कि केंद्र इन डिवाइसेज के आयात के लिए अथराइजेशन का नया सिस्टम शुरू कर रहा है यानी इसके लिए एक ऑनलाइन मंजूरी सिस्टम तैयार किया गया है जिसके तहत सभी कंपनियां विदेशों से इन सामानों का आयात तो कर सकेंगी लेकिन उसके पहले उन्हें सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी। सरकार के इस फैसले का लक्ष्य मार्केट सप्लाई को नुकसान पहुंचाए बिना ऐसे हार्डवेयर्स के शिपमेंट की निगरानी करना है।
नया इम्पोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम 1 नवंबर से लागू होगा और कंपनियों को आयात की मात्रा (quantity) और उसकी वैल्यू यानी मूल्य को रजिस्टर करने की जरूरत होगी। कंपनियों को कोई परेशानी न आए इसके लिए आयातकों के लिए ‘एंड-टू-एंड’ ऑनलाइन प्रणाली शुरू की गई है। इस सिस्टम के तहत सरकार किसी भी आयात की रिक्वेस्ट को मना नहीं करेगी और कंपनियां जो भी डेटा सरकार को देंगी उसे वह निगरानी के लिए उपयोग करेगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फोटेक मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी एस. कृष्णन ने रॉयटर्स को बताया कि इसका उद्देश्य ‘यह सुनिश्चित करना है कि यह सब हमें उस तरह का डेटा और जानकारी प्रदान करे जिसकी हमें जरूरत है ताकि हमारे पास पूरी तरह से विश्वसनीय डिजिटल सिस्टम हो।
इस फैसले से Dell, HP, Apple, Samsung और Lenovo जैसे ग्लोबल लैपटॉप मैन्युफैक्चरर्स को राहत मिली है, जो अगस्त में सरकार के लाइसेंसिंग व्यवस्था के अचानक ऐलान से घबरा गए थे।
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नई लाइसेंस व्यवस्था भारत की विश्वसनीय सप्लाई चेन सुनिश्चित करने के लिए लैपटॉप, पर्सनल कंप्यूटर (टैबलेट कंप्यूटर सहित), माइक्रो कंप्यूटर, बड़े या मेनफ्रेम कंप्यूटर और कुछ डेटा प्रोसेसिंग मशीनों पर लागू है।
DGFT ने कहा कि एक आयातक अभी से आयात का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए सिस्टम पर आवेदन कर सकता है। नई प्रणाली की तैयारी में राजस्व विभाग भी शामिल है और पूरी आवेदन प्रक्रिया में लगभग 10 मिनट का समय लगेगा और सरल लाइसेंस ऑटोमेटिक तरीके से जारी किया जाएगा।
हालांकि, पुराना सामान या नवीनीकृत वस्तुओं का आयात करने की इच्छुक कंपनियों को भी इस लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि उनके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) अलग है।
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बता दें कि 3 अगस्त को, भारत ने लैपटॉप और टैबलेट आयात पर लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू की, लेकिन इंडस्ट्री और अमेरिका के विरोध जताने पर इस निर्णय को कुठ समय के लिए स्थगित कर दिया था।
अगर वह योजना लागू हुई होती तो कंपनी को हर आयात के लिए सरकार से रिक्वेस्ट करना पड़ता औऱ सरकार के पास यह पावर होती कि वह उस रिक्वेस्ट पर अपना परमिशन देने से मना कर दे। इसका मतलब यह है कि अगर सरकार चाहती तभी कोई इम्पोर्ट हो सकता था।
एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए कृष्णन ने कहा कि जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर सितंबर 2024 के बाद आगे के उपाय किए जा सकते हैं।
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गौरतलब है कि सरकार ने चार अगस्त को घोषणा की थी कि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और चीन जैसे देशों से आयात में कटौती करने के उद्देश्य से आयातकों को एक नवंबर से इन वस्तुओं के आयात के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी।