भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कोरोना से प्रभावित क्षेत्रों तथा उद्यमों के लिए जारी विशेष प्रावधानों के तहत कर्जदाता जीवीके समूह की इकाई मुंबई इंटरनैशनल एयरपोट्र्स लिमिटेड (एमआईएएल) का कर्ज पुनर्गठन कर सकते हैं।
कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के चलते गंभीर स्तर पर प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में विमानन एवं संबंधित गतिविधियां शामिल रहीं।
एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने एमआईएएल के बारे में बात करते हुए कहा कि कोविड-19 से प्रभावित हवाई अड्डों के पुनर्गठन की आवश्यकता है। यह एक उचित प्रक्रिया के तहत होना चाहिए, क्योंकि कर्ज काफी अधिक है। हमें के.वी. कामत समिति की अनुशंषाओं का इंतजार करना चाहिए और इसके बाद कर्जदाता पुनर्गठन पर बातचीत करेंगे। एमआईएएल पहले ही आरबीआई द्वारा कोरोना से होने वाले प्रभाव के कारण भुगतान पर दी गई मोरेटोरियम सुविधा का लाभ उठा चुका है।
रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी के कारण तनाव झेल रहे कारोबारी उधारकर्ताओं के कर्ज पुनर्गठन पर सलाह देने के लिए के.वी. कामथ की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। उम्मीद है कि समिति विभिन्न पैमानों का अनुसरण करके वास्तवित में प्रभावित उद्यमों का पता लगाने लिए मानक निर्धारित करेगी तथा जरूरी सहायता की अनुसंशा करेगी।
वर्ष 2017 में एयरपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने अपने बैंकर्स कंसोर्टियम के साथ मिलकर 10,600 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज का पुनर्गठन किया था।
सरकारी क्षेत्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हवाई अड्डों पर होने वाली आय के दो प्रमुख स्रोत (किराए पर दी जाने वाली जमीन एवं रिलेट आउटलेट पर बिक्री) महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसमें सुधार आने में भी बहुत समय लगेगा जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। उधारकर्ताओं द्वारा कर्ज पर दोबारा काम करना एक विकल्प हो सकता है।
अधिकारी ने बताया कि कोरोना से बुरी तरह प्रभावित होने वाले तीन प्रमुख क्षेत्रों में विमानन, पर्यटन एवं यात्रा तथा हॉस्पिटैलिटी शामिल हैं।
इस महीने की शुरुआत में, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 350 करोड़ रुपये के टर्म लोन के चलते मुंबई इंटरनैशनल एयरपोट्र्स लिमिटेड की रेटिंग ‘बी’ से घटाकर ‘सी’ कर दी थी। क्रिसिल ने परियोजनाओं के लिए कर्ज समेत बकाया बैंक कर्ज सुविधाओं के लिए भी रेंटिंग में कमी की थी। कंपनी की रेंटिंग ‘नकारात्मक प्रभावों के साथ रेंटिंग पर निगरानी’ मानक पर है।
परियोजनाओं तथा एडीएफ कर्ज के लिए रेटिंग में कमी आगामी समय में कर्ज आवश्यकताओं के मुकाबले नगदी प्रवाह की कम उपलब्धता को दर्शाती है।
साथ ही, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को सालाना रियायत शुल्क के भुगतान के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित निर्णय के कारण एस्क्रो खाते में नगदी शेष के उपयोग को लेकर भी अनिश्चितता है।
एमआईएएल के पास सितंबर 2020 में परियोजना संबंधी कर्ज को लेकर लगभग 65 करोड़ रुपये के ऋण सेवा दायित्व हैं। इसके अलावा, मार्च से अगस्त 2020 तक की अवधि के लिए लगभग 147 करोड़ रुपये के अर्जित ब्याज के उपचार पर सीमित दृश्यता है। क्रिसिलि का कहना है कि मोरेटोरियम समय के दौरान कुल ब्याज 293 करोड़ रुपये रहा जिसमें भारतीय स्टेट बैंक ने लगभग 146 करोड़ रुपये के अर्जित ब्याज के अपने हिस्से को मूलधन में जोड़ा है।