कैलेंडर वर्ष के पहले सात महीने के दौरान नरमी के बावजूद भारत में विलय और अधिग्रहण (एम ऐंड ए) में तेजी बनी रहने की उम्मीद है, जैसी पिछले तीन-चार साल में देखी गई है।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एस रमेश ने कहा कि विलय एवं अधिग्रहण उतार-चढ़ाव वाली कारोबारी गतिविधि होती है और कैलेंडर वर्ष की अगली दो तिमाहियों के दौरान हमें एकाएक बड़े सौदे नजर आ सकते हैं।
रमेश ने कहा कि इससे विलय एवं अधिग्रहण की दमदार गतिविधि का सिलसिला बरकरार रखने में मदद मिलेगी। मध्य अवधि में इस दीर्घकालिक राह की अगुआई निजी इक्विटी (पीई) द्वारा की जाएगी, जो स्थानीय कंपनियों का अधिग्रहण करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं। वे अधिग्रहण की गई कंपनियों में बेहतरीन वैश्विक कार्यप्रणाली लागू करेंगी, जिससे समय के साथ-साथ उनके मूल्य में इजाफा होगा।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय सेवाएं, ऊर्जा और विनिर्माण कुछ ऐसे विषय हैं, जो व्यापक विलय एवं अधिग्रहण क्षेत्र में चल रहे हैं।
रमेश ने कहा कि निजी पूंजी के भारी प्रवाह की वजह से हमें भारतीय कंपनी जगत में वित्तीयकरण दिख रहा है। पिछले दो-तीन वर्षों के दौरान पीई निवेशक सूचीबद्ध कंपनियों में नियंत्रण का दर्जा लेते आ रहे हैं। गैर-सूचीबद्ध सहायक कंपनियों और निजी कंपनियों में उनके निवेश के अतिरिक्त ऐसा है। इनमें से कई निजी निवेशक अधिक मूल्यांकन पर बाहर निकलने में सक्षम रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार की स्थिरता और गहराई के संबंध में भरोसा मिलता है।
ये निवेशक कई निवेश अवसरों पर विचार और मूल्यांकन जारी रखे हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप नए सौदे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इस वित्तीयकरण से बड़ी संख्या में कंपनियां सामने आएंगी, जो पेशेवर रूप से प्रबंधित होंगी और या तो पीई या फिर संस्थागत निवेशकों द्वारा समर्थित होंगी। यह प्रवर्तक संचालित कंपनियों के दबदबे वाले पारिस्थितिकी तंत्र के विपरीत है।
रमेश ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और पीई दोनों के मौजूदा निवेश का मूल्य लगभग 800 से 900 अरब डॉलर होगा। इसमें से 250 से 300 अरब डॉलर का निवेश पीई द्वारा किया जाएगा और शेष पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा। उन्होंने कहा, मैं देख रहा हूं कि यह अनुपात बड़ी हद तक बदल रहा है। अगले पांच साल में इस पूल में पीई पूंजी का अनुपात काफी बढ़ने के आसार हैं।
भारतीय परिसंपत्तियों में घरेलू कंपनियों, विदेशी रणनीतिक निवेशकों और वित्तीय निवेशकों के बीच जोरदार रुचि देखी जा रही है। हाल के कुछ बड़े सौदों में टाइटन द्वारा 56 करोड़ डॉलर में कैरेटलेन का अधिग्रहण और बेल्जियम के प्रोक्सिमस ग्रुप द्वारा एक अरब डॉलर में रूट मोबाइल का अधिग्रहण शामिल है।
(बिजनेस स्टैंडर्ड प्राइवेट लिमिटेड में कोटक परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनियों की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है)