कोरोनावायरस वैश्विक महामारी से प्रभावित आर्थिक वातावरण में भारतीय खरीदार छोटी और कम कीमत वाली कारों को प्राथमिकता दे रहे हैं जिससे मारुति सुजूकी जैसी प्रमुख कंपनियों की कीमत वसूली अथवा प्रति वाहन औसत विक्रय मूल्य (एएसपी) प्रभावित हो रहा है। जून से सितंबर तिमाही के दौरान कंपनी की कीमत वसूली पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले प्रति वाहन 5.6 फीसदी घटकर करीब 4,50,000 प्रति वाहन रह गई जो पिछले सात तिमाहियों में सबसे कम है। सितंबर 2019 की तिमाही में मारुति का एएसपी लगभग 4,77,000 रुपये प्रति वाहन रहा था।
हाल के महीनों में मारुति की मात्रात्मक बिक्री में काफी सुधार हुआ है लेकिन मांग मुख्य रूप से उसके सस्ते और प्रवेश स्तर के मॉडलों के लिए दिख रही है। इससे दूसरी तिमाही में कंपनी की मात्रात्मक बिक्री और शुद्ध बिक्री में वृद्धि हुई। वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में मारुति ने एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले 16.2 फीसदी अधिक वाहनों की बिक्री की लेकिन उसकी शुद्ध बिक्री महज 9.6 फीसदी बढ़कर 17,689 करोड़ रुपये की रही।
नारनोलिया सिक्योरिटीज के वाहन विश्लेषक नवीन दुबे ने कहा, ‘पहले लोग शौकिया खरीदारी करते थे लेकिन अब जरूरत के हिसाब से खरीदारी की जा रही है। इसका मतलब साफ है कि शीर्ष मॉडल के बजाय बुनियादी मॉडल की अधिक मांग दिखेगी।’
विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे माल और श्रम लागत में नरमी के बावजूद इससे मारुति के परिचालन लाभ में सालाना आधार पर लगभग 100 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई। मारुति की कच्चे माल की कुल लागत में महज 5.9 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि जबकि बिकने वाले प्रत्येक वाहन पर कच्चे माल की कीमत करीब 8.9 फीसदी कम होकर 2,25,000 रुपये रह गई जो एक साल पहले करीब 2,47,000 रुपये थी। इससे कंपनी को कमजोर एएसआर की भरपाई करने में मदद मिली और कंपनी ने वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में 13.1 फीसदी का परिचालन मार्जिन दर्ज किया जो एक साल पहले यह 14.1 फीसदी रहा था।
तिमाही के दौरान कंपनी ने शीर्ष 10 शहरों के बिक्री योगदान में भी गिरावट दर्ज की और वह वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में घटकर 31.4 फीसदी रह गया जो वित्त वर्ष 2020 में 36 फीसदी रहा था। विश्लेषकों का कहना है कि इससे शीर्ष मॉडलों की बिक्री पर असर पड़ सकता है। हालांकि मारुति सुजूकी ने अपने कुल पोर्टफोलियो में प्रवेश स्तर की कारों के अधिक योगदान के अलावा, डीजल श्रेण से बाहर निकलने को इस गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
वित्त वर्ष 2020 की सितंबर तिमाही में मारुति ने करीब 2,57,000 डीजल कारों की बिक्री की। डीजल कार पेट्रोल कारों की तुलना में करीब 1,00,000 रुपये महंगी होती है जिससे समान विशेषताओं वाली पेट्रोल कार के मुकाबले एएसपी में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि होती है। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी की कुल बिक्री में डीजल कारों की हिस्सेदारी 20 फीसदी थी। मारुति सुजूकी ने अप्रैल में डीजल से चलने वाली कारों की बिक्री बंद कर दी।
कंपनी के कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘पेट्रोल से चलने वाले मॉडलों पर कीमत वसूली में सालाना आधार पर 5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसकी मुख्य वजह नए उत्सर्जन मानदंड बीएस6 के कारण लागत में वृद्धि रही।’ हालांकि उन्होंने कार खरीदारों द्वारा डाउनट्रेडिंग से इनकार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मांग पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और लोग निचली श्रेणी से मॉडल चुन रहे हैं।’
इससे यह भी संकेत मिलता है कि कुल बिक्री में पहली बार के खरीदारों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। मारुति की कुल बिक्री में ऐसे खरीदारों की हिस्सेदारी पिछले साल 43.4 फीसदी थी जो अब बढ़कर 48 फीसदी हो गई है।
