सीएलएसए के विश्लेषकों का मानना है कि कोविड संक्रमण की मौजूदा दूसरी लहर और कई राज्यों में लॉकडाउन से जून 2021 की तिमाही की कॉरपोरेट आय प्रभावित होगी, लेकिन बाजार चिंतित नहीं होगा और इसे एकबारगी प्रभाव के तौर पर महसूस करेगा और इस लहर के बाद अर्थव्यवस्था सामान्य होने के बा वृद्घि पर ध्यान केंद्रित करेगा।
12 देशों में कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रभाव और चार मुख्य मानकों – इसकी अवधि के दिन, आबादी के प्रतिशत के तौर पर दर्ज मामले, दूसरी लहर के चरम से मामलों का प्रतिशत और आबादी के प्रतिशत के तौर पर टीकाकरण- से रुझानों को देखते हुए शोध एवं ब्रोकिंग फर्म का मानना है कि भारत में दूसरी लहर जून तक चरम पर पहुंचेगी। उसने कहा है कि आर्थिक हालात अगस्त-सितंबर 2021 तक सामान्य होने की संभावना है।
विकास कुमार जैन तैयार तैयार की गई सीएलएसए की 12 मई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत नए मामलों के 7-दिन के मूविंग एवरेज (डीएमए) में चरम स्तर जून, 2021 तक देख सकता है। महाराष्टï्र में यह पीक स्तर पहले ही देखा जा चुका है। हरियाणा, दिल्ली और आंध्र प्रदेश में अगले सप्ताह पीक देखा जा सकता है। अनुमानित रेंज की मध्य तारीख का इस्तेमाल करते हुए, इन 16 राज्यों में से 11 में इस लहर से पीक स्तर जून 2021 के अंत तक देखा जा सकता है। इनका भारत की कुल आबादी में 47 प्रतिशत और जीडीपी में 65 प्रतिशत का योगदान है।’
आर्थिक दबाव और राहत
कई विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक दबाव वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही तक सीमित रहेगा, क्योंकि लॉकडाउन की सख्ती 2020 की पहली लहर के मुकाबले अपेक्षाकृत कम है। फिर भी, प्रमुख ब्रोकरों और रेटिंग एजेंसियों (मूडीज, नोमुरा, क्रिसिल, क्वांटइको रिसर्च और केयर रेटिंग्स समेत) ने वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत की जीडीपी वृद्घि के अनुमानों में कटौती की है। वृद्घि के नजरिये से विश्लेषकों का मानना है कि तिमाही आधार पर सुधार एक तिमाही तक आगे बढ़ सकता है।
राबोबैंक इंटरनैशनल के विश्लेषकों का कहना है कि यदि भारत भविष्य में संक्रमण के मामलों को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।