मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी का मूल्यांकन 1965 के 69 करोड़ रुपये के मुकाबले साल 2016 में 58,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया और अभी भी मिस्त्री परिवार शिकायत कर रहे हैं कि पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने कंपनी का परिचालन इतने खराब तरीके से किया कि 2016 में कंपनी बंद हो जानी चाहिए थी। टाटा संस के वकील हरीश साल्वे ने अदालत के सामने दलील में ये बातें कही।
सर्वोच्च न्यायालय मेंं आज सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि टाटा की सभी कंपनियां बेहतर कर रही हैं और कमाई कर रही हैं जबकि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं। मिस्त्री परिवार के पास टाटा संस की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है और वह पद से हटाए जाने के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं और टाटा संस में कुप्रबंधन की शिकायत की है। टाटा संस में 66 फीसदी मालिकाना हक टाटा ट्रस्ट का है जबकि बाकी टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों के पास है।
साल्वे ने कहा, शिकायत करने वाले व्यक्ति को निश्चित तौर पर बताना चाहिए कि प्रबंधन के व्यवहार से शेयरधारक के तौर पर उनके कानूनी व प्रोप्राइटरी अधिकार पर असर पड़ा। टाटा संस को निजी कंपनी बनाने पर साल्वे ने कहा कि यह शेयरों के हस्तांतरण और सदस्यों की संख्या 50 तक रखने की सीमा तय करता है। उन्होंने कहा कि साल 2013 के अधिनियम के बाद परिभाषा के लिहाज से हम निजी कंपनी बन चुके हैं। मिस्त्री को शुरू में रतन टाटा के मातहत डिप्टी कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर शामिल किया गया और एक साल बाद उन्होंने रतन टाटा की जगह ली। उन्होंने कहा, यह पहला मौका था जब टाटा ट्रस्ट से बाहर के किसी व्यक्ति ने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला और रतन टाटा ने कहा कि टाटा संस के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में कुछ बदलाव की जरूरत है।
गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
