मैक्रोटेक डेवलपर्स (पहले लोढ़ा डेवलपर्स के नाम से मशहूर) ने कहा है कि कोरोना के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में आई मंदी के कारण कंपनी ने भारतीय रिजर्व बैंक की डेट मोरेटोरियम स्कीम का फायदा उठाया है। कोरोना के कारण मौजूदा वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में कंपनी की बिक्री 69 फीसदी घटी है। सेबी के पास जमा कराए गए विवरणिका मसौदे में मैक्रोटेक ने कहा है कि वाणिज्यिक रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए वाणिज्यिक परिचालन की तारीख टालने से संबंधित आरबीआई के परिपत्र को देखते हुए कंपनी ने अपनी कुछ उधारी (छह महीने से लेकर दो साल तक की) पर भुगतान टालने के लिए लेनदारों के पास आवेदन किया है और इसकी मंजूरी मांगी है।
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में कंपनी की बिक्री 69 फीसदी घटकर 2,915 करोड़ रुपये रह गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 9,273 करोड़ रुपये रही थी और इसकी वजह कोरोना महामारी थी। लेकिन कंपनी अपना कर्ज 25 फीसदी घटाकर 18,662 करोड़ रुपये पर लाने में कामयाब रही, जो पहले 24,998 करोड़ रुपये थी। कंपनी ने कहा है कि आईपीओ से मिलने वाली रकम में से 1,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर्ज घटाने में किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि 31 दिसंबर को समाप्त नौ महीने की अवधि में उसका नुकसान 264 करोड़ रुपये रहा। मुंबई की रियल एस्टेट फर्म ने कहा, हम आपको आश्वस्त नहींं कर सकते कि हमें समय पर ऐसी मंजूरी मिलेगी या नहीं मिलेगी। अगर हमें मंजूरी नहीं मिलती तो हमें मौजूदा शर्तों के मुताबिक पुनर्भुगतान करना होगा।
महामारी के कारण न सिर्फ बिक्री प्रभावित हुई बल्कि लॉकडाउन के कारण परियोजनाओं में भी देर हुई क्योंकि काम बंद करने का सरकारी आदेश था, मैटीरियल की आपूर्ति में बाधा थी, श्रमिकों की किल्लत थी, जिसके कारण हम कम पूरा नहीं कर पाए और हमारी लागत भी बढ़ी। अब सरकारी निर्देश के मुताबिक साइटों पर कामकाज धीरे-धीरे बहाल हो गया है।