भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने उन पॉलिसीधारकों का डेटाबेस तैयार करना शुरू कर दिया है, जो आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित 10 फीसदी शेयर आवंटन के लिए पात्र हो सकते हैं। एलआईसी का आईपीओ चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आ सकता है।
एलआईसी के एक अधिकारी ने कहा कि डेटाबेस में कुछ पॉलिसीधारकों के नाम दो बार आ गए हैं, जिनमें से एक नाम हटाया जा रहा है ताकि प्रत्येक पात्र पॉलिसीधारक को भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी में शेयरधारक बनने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा, ‘यह बड़ा काम है और एलआईसी ने इस प्रक्रिया के लिए एक टीम तैनात की है।’ पॉलिसीधारकों के लिए शेयर आरक्षण का प्रावधान वित्त अधिनियम में किया गया है। एलआईसी की टीम ने यह कवायद शुरू कर दी है। पॉलिसीधारकों के नाम, पते आदि की पहचान कर डेटाबेस में शामिल किया जा रहा है ताकि वास्तविक लाभार्थियों को ही इसका लाभ मिल सके। उक्त अधिकारी ने कहा कि कई पॉलिसीधारकों के लिए एलआईसी पसंदीदा विकल्प रही है और उन्होंने अपने नाम से एक से अधिक पॉलिसियां ली हैं। यही वजह है कि इनका ब्योरा जुटाया जा रहा है, ताकि लाभार्थियों का दोहराव न हो सके। दोहराव से बचने के लिए आधार का भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समूची कवायद एलआईसी द्वारा तय प्रारूप के तहत की जा रही है।
एलआईसी के करीब 29 करोड़ पॉलिसीधारक हैं और यह अपनी तरह की पहली कवायद है। एलआईसी को सूचीबद्घ कराने की तैयारी चल रही है, जिसके लिए बीमा कंपनी ने तकनीकी उन्नयन भी किया है और एक्चुरियल मॉडलिंग सॉफ्टवेयर ‘प्रॉफेट’ खरीदा है। इसका उपयोग देश में सभी जीवन बीमा कंपनियों द्वारा किया जाता है।
सरकार एलआईसी का आईपीओ लाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। माना जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। सरकार ने निवेशकों से भी संपर्क साधा है और एलआईसी की वृद्घि तथा संभावनों से उन्हें अवगत कराया है। एलआईसी अधिनियम में कई संशोधन भी अधिसूचित किए गए हैं ताकि एलआईसी को निदेशक मंडल द्वारा संचालित इकाई बनाया जा सके। सरकार ने एलआईसी चेयरमैन का पद भी खत्म करने का निर्णय किया है और उसकी जगह मुख्य कार्याधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।