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अदाणी समूह कंपनियों में LIC का निवेश 31 दिसंबर, 2022 तक डेट और इक्विटी के तौर पर 35,917.31 करोड़ रुपये था, जो उसकी 41.66 लाख करोड़ रुपये की कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (AUM) का महज 0.97 प्रतिशत है। यह खुलासा वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने सोमवार को लोकसभा में किया।
कांग्रेस के मनीष तिवारी द्वारा पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में कराड ने यह भी कहा कि सरकार के स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों से प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि अदाणी समूह कंपनियों में उनका निवेश भी काफी कम है।
उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों से प्राप्त आंकड़े के अनुसार, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, नैशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का अदाणी समूह कंपनियों में 31 जनवरी तक 347.64 करोड़ रुपये का निवेश था, जो सभी पांचों कंपनियों की कुल AUM का महज 0.14 प्रतिशत है।’
तिवारी ने सरकारी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा अदाणी कंपनियों को दिए गए ऋणों की भी जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में कराड ने कहा कि न तो RBI और न ही किसी अन्य बैंक को ऋण जानकारी का खुलासा करना है, क्योंकि ऐसी जानकारी RBI Act की धारा 45E के तहत गोपनीय समझी गई है।
लिखित जवाब में कहा गया, ‘इसके अलावा RBI Act की धारा 45NB में यह कहा गया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा सौंपी जाने वाली किसी जानकारी को गोपनीय समझा जाएगा और इसका प्रकाशन या खुलासा नहीं किया जाएगा।’
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इसमें कहा गया कि ऐक्जिम बैंक, स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक, नैशनल हाउसिंग बैंक, नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और नैशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट जैसे वित्तीय संस्थानों को संबद्ध जानकारियों का खुलासा करने की अनुमति नहीं दी गई है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि नियामकों को अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद से अवगत करा दिया गया है और इसकी जांच चल रही है।