सत्यम के खातों में हेराफेरी के खुलासे के बाद कंपनी की पूर्व ऑडिट फर्म प्राइस वाटरहाउस को हटाकर उसकी जगह नए बोर्ड ने दो प्रमुख वैश्विक ऑडिटिंग कंपनियों- केपीएमजी और डेलायट को कंपनी की वित्तीय रिपोर्टों का पुनरीक्षण के लिए नामित किया है।
इस बीच कंपनी की पिछली ऑडिटर प्राइस वाटरहाउस ने कहा है कि सत्यम के संस्थापक अध्यक्ष बी. रामलिंग राजू द्वारा धोखाधड़ी की स्वीकृति के मद्देनजर सत्यम का ऑडिट अविश्वसनीय हो सकता है। इस स्वीकारोक्ति के बाद राजू ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
सत्यम के बोर्ड के सदस्य सी. अच्युतन ने कहा कि हमने सत्यम के वित्तीय आंकड़ों की समीक्षा के लिए डेलायट और केपीएमजी को नियुक्त करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों से जल्द से जल्द अपना काम पूरा करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि सत्यम के खातों और इसमें प्राइस वाटरहाउस की भूमिका की जांच के बीच यह नियुक्ति की गई है। इधर, पूर्व ऑडिट कंपनी ने नवगठित बोर्ड को लिखे एक पत्र में कहा कि वह कंपनी के साथ काम करना चाहेगी और नए निदेशक मंडल को सहयता प्रदान करेगी, ताकि जांच के दौरान पैदा किसी मसले का समाधान ढूंढा जा सके। कंपनी ने पहले कहा था कि सत्यम का ऑडिट उचित ऑडिट प्रमाण और मान्य मानकों के अनुसार किया गया है।