पुणे के शरद नंदा कबाब के शौकीन हैं। उन्हें किसी काम के चलते दिल्ली आना पड़ा और यहां उनका मन कबाब खाने का हुआ।
वे चाहते तो अपने किसी दोस्त को फोन करते और इसके लिए लोकप्रिय जगहों का पता आराम से पूछ लेते। लेकिन उन्होंने अपना मोबाइल फोन निकाला और एक टॉल फ्री नंबर डायल कर पूछा कि कबाब मिलने की सही-सही जगह पूछी।
एक मिनट भी नहीं हुआ था कि उन्हें तीन जगहों का पता मिल गया, जहां वे कबाब का जायका लेने जा सकते थे। इसके लिए शरद सर्च इंजन गूगल ‘वॉयस सर्च’ के शुक्रगुजार हैं, जिसे हाल ही में हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में लॉन्च किया गया है।
गूगल मोबाइल के समूह उत्पाद प्रबंधक हुगो बारा का कहना है, ‘जानकारी को वैश्विक स्तर पर उपयोगी और उपलब्ध करने के हमारे मिशन के तहत ही यह सेवा पेश की गई है। आप इस सेवा का कहीं भी फायदा उठा सकते हैं फिर चाहे आप घर पर हों या कहीं और।’
हालांकि यह जरूरी नहीं कि आपने जानकारी हासिल करने के लिए जो भी पूछताछ की है, उसका सही-सही जवाब मिल जाए, क्योंकि फिलहाल यह गूगल का ‘पायलट प्रोजेक्ट’ है। ‘वॉयस सर्च’ सेवा ऑटोमेटेड आवाज की पहचान करने वाले इंजन और इस सुविधा को मुहैया कराने वाले ऑपरेटरों के इस्तेमाल से ग्राहकों को उपलब्ध हो कराई जा रही है।
इस सेवा को तेज और बेहतर बनाने के लिए गूगल आवाज की पहचान करने वाली तकनीक के साथ प्रयोग कर रही है, जो 24 घंटे सेवा को सुनिश्चित कर सके। फिलहाल ऑटोमेटेड प्रणाली सिर्फ अंग्रेजी में ही परिणाम मुहैया करा पा रही है, हालांकि ऑपेरटर से चलने वाले सिस्टम सिर्फ हिंदी और तेलुगू में जवाब देते हैं।
मोबाइल फोन पर सेवा देने को लेकर गूगल का मानना है कि भारत में कंप्यूटर इस्तेमाल करने वालों के मुकाबले मोबाइल फोन ग्राहकों की संख्या अधिक है। लेकिन यह भी सच है कि कुल जनसंख्या में से सिर्फ 5 से 7 प्रतिशत लोगों के पास ही इंटरनेट कनेक्शन है, जिनमें मोबाइल फोन पर नेट सर्फिंग करने वाले भी शामिल हैं। उनका कहना है, ‘वॉयस के साथ भारत में वेब का इस्तेमाल न करने वाले स्थानीय भाषी ग्राहकों तक भी पहुंचा जा सकता है।’
अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और जापान में ‘वॉयस सर्च’ आईफोन के लिए गूगल मोबाइल एप के तहत उपलब्ध है। साथ ही यह एंड्रॉयड आधारित टी-मोबाइल जी1 पर भी उपलब्ध है और पिछले महीने ही इसे ब्लैकबेरी में फ्री डाउनलोड के रूप में पेश किया गया है। मिसाल के तौर पर फोन में सिर्फ मौसम शब्द बोलने से ही फोन की स्क्रीन पर शीर्ष परिणाम देखने को मिलते हैं।
भारत में गूगल की योजना इस प्रौद्योगिकी को दूसरे शहरों तक भी बढ़ाने की है। कंपनी के मुताबिक, ‘एक बार हम देश के किसी भी हिस्से में आवाज पहचानने की तकनीक की गुणवत्ता को लेकर सुनिश्चित हो जाएं, तब हम इसे दूसरे शहरों में भी ले जाएंगे।’ भारत में भाषाओं और उच्चारण में काफी भिन्नता है और ये एक-दूसरे से अलग-अलग हैं।
भारत में गूगल इस सेवा से कोई कमाई नहीं कर रहा है, जबकि अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और जापान में कंपनी परिणामों के साथ-साथ स्क्रीन पर विज्ञापन दिखाने के जरिये कमाई कर रही है। साथ ही मोबाइल फोन उपभोक्ता को किसी जानकारी के हासिल होने या व्यवसायों से जुड़ने पर कोई शुल्क नहीं देना होता।
गूगल की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली स्थानीय कारोबारों की जानकारी स्थानीय खोज के जैसे ही है। बारा के मुताबिक इसमें लगातार डेटा को शामिल किया जाता है और गूगल अपने ग्राहकों से लगातार प्रतिक्रिया लेता रहा है।