डिजिटल अर्थव्यवस्था की दुनिया ने रोजमर्रा दफ्तर आने जाने और काम के घंटों में जबरदस्त बदलाव ला दिया है और साथ ही इसकी ओर बड़ी संख्या में ऐसी महिलाएं आकर्षित हो रही हैं, जिन्होंने घर और पारिवारिक जिम्मेदारियों को तरजीह दी थी।
हीरल शाह 35 साल की हैं और स्नातक की उपाधि उन्होंने कॉमर्स विषय में ली थी। उनकी कहानी काफी दिलचस्प है। शाह परिवार को पिछले साल ही कनाडा से भारत आना पड़ा, जब उनके पति की नौकरी छिन गई। उनके पति परिवार में पैसा कमाने वाले इकलौते व्यक्ति थे।
भारत आने के बाद शाह ने फैसला किया कि वह भारतीय हस्तशिल्प का कारोबार करेंगी। इसके लिए उन्होंने अहमदाबाद के स्थानीय शिल्पकारों से सामान लेकर कनाडा में बसे अपने दोस्तों और दूसरे ग्राहकों को बेचना शुरू किया।
शाह बताती हैं, ‘मैंने सिर्फ 5,000 रुपये के हस्तशिल्प सामान से शुरुआत की लेकिन आज मैं लगभग 1 लाख रुपये कमा लेती हूं। अपनी खुद की वेबसाइट के अलावा मैं ये उत्पाद दूसरे ऑनलाइन बाजारों पर भी बेचती हूं।’
वह बताती हैं कि अब उनके पति देशभर के हस्तशिल्पकारों से सामान लाने में उनकी मदद करते हैं। बढ़ी हुई बिक्री के साथ शाह की योजना है कि वे अपने ग्राहकों को वेब विश्लेषकों, मिस्ट्री शॉपिंग (बाजार अनुसंधान का एक तरीका, जिससे आप उत्पादों और सेवाओं की जानकारी हासिल कर सकते हैं) और विश्लेषण के लिए इस्तेमाल होने वाले दूसरे तरीकों की मदद से पहचानें।
ईबे इंडिया के साथ 20 लाख से भी अधिक ग्राहक जुड़े हुए हैं। इस ऑनलाइन बाजार पोर्टल में कुल विक्रेताओं में से 15 से 20 प्रतिशत महिला व्यापारी हैं। ईबे इंडिया की वरिष्ठ प्रबंधक (पॉप कल्चर) दीपा थॉमस का कहना है, ‘भारत में 4.5 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं को न सिर्फ धीमी गति से चली वाली ईंट-और-चूने की आपूर्ति सेवा की अनदेखी करने का विकल्प मिलता है, बल्कि उन्हें उनकी पसंद के दामों में उत्पाद खरीदने का मौका भी मिलता है।’
नागपुर की रहने वाली गुंजन अरोड़ा एक सफल वेब व्यापारी हैं। उन्होंने अपनी जुड़वा बेटियों की देख-रेख के लिए बहु-राष्ट्रीय कंपनी में अपनी नौकरी छोड़ दी थी और उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है। अरोड़ा पिछले साल शुरू किए अपने ऑनलाइन उपक्रम को लेकर काफी खुश हैं।
उनके इस काम के तहत वे ई-कॉमर्स पोर्टल अलीबाबा डॉट कॉम पर सिल्क के वस्त्रों की खरीद-फरोख्त करती हैं। आज वह आराम से 1.5 लाख रुपये हर महीने कमा लेती हैं। उनका कहना है, ‘ परिवार के सभी लोग मेरे काम में मेरी मदद करते हैं। मेरे पति ऑर्डर बुक में मेरी मदद करते हैं, क्योंकि हमारे ग्राहक यूरोप और अमेरिका तक में फैले हुए हैं।’
ए सी नीलसन के अनुमानों के मुताबिक ईबे इंडिया का इस्तेमाल करने वाले 12,800 विक्रेताओं की आय का यह मुख्य या दूसरा स्रोत है। एक और ऑनलाइन कारोबारी महिला तोरल सैनी ऐमाजोन और अलीबाबा सरीखे वेब पोर्टलों पर आभूषण का कारोबार करती हैं।
उनका कहना है, ‘ई-कॉमर्स में मुकाबला काफी कड़ा हो रहा है और यह ऐसा माध्यम है जो कम से कम दामों में उत्पाद खरीदने वालों को अपनी और आकर्षित करता है।’ सैनी 4 प्रतिशत के कम मार्जिन के साथ फैशन से जुड़े आभूषण बेचती हैं। उनका कहना है, ‘मैं एक औसत सौदे पर हर ग्राहक से लगभग 2000 रुपये कमा लेती हूं। प्रतिस्पध्र्दा के माहौल में अधिक बिक्री के चलते मेरा मुनाफा बच जाता है।’
डिलीवरी से ग्राहक सेवाओं तक मुहैया कराने वाली इन ऑनलाइन सेवाओं की मदद से ये महिला व्यापारी हर छोटी-से-छोटी जानकारी पर अपनी नजर बनाने में सक्षम हैं। चेन्नई की 29 वर्षीया फैजल रानी ईबे पर एक व्यापारी हैं। तीन साल पहले वह सिर्फ एक मां थीं, लेकिन आज ईबे की शीर्ष विक्रेताओं की फेहरिस्त में शामिल हैं। रानी ईबे पर एलसीडी टीवी, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा, एमपी3 प्लेयर और डीवीडी प्लेयर बेचा करती थीं।
उनके ग्राहक सेवा मानक इस दौड़ में सबसे बढ़िया माने जा रहे हैं। उनका कहना है कि घर से काम करना और डिलीवरी के ऊंचे मानकों को बनाए रखना आसान नहीं है। वह बताती हैं, ‘मेरे कारोबार में, बीमार होने का कोई चांस ही नहीं है। कितना पैसा मिलेगा आप सोच नहीं सकते और जब आप घर से काम करते हैं तो हर दूसरे मिनट पर आपको किसी न किसी वजह से हटना पड़ता है।’
रानी के लिए उनकी इस मेहनत का जो फल है वह काम के दौरान होने वाली परेशानियों के मुकाबले काफी ज्यादा है। उन्होंने जब शुरुआत की थी तो उनकी पहली बिक्री के बाद उन्हें मात्र 20 रुपये का मुनाफा हुआ था। आज वही रानी हर महीने 50,000 रुपये से अधिक कमा लेती हैं। अब तक उन्होंने पूरे देश के खरीदारों के साथ ईबे पर 1,200 से अधिक सौदे किए हैं। और उनकी योजना तीन और ऑनलाइन स्टोर शुरू करने की है।
नई मंजिलें
ईबे इंडिया के साथ 20 लाख से भी अधिक ग्राहक जुड़े हुए हैं। इस ऑनलाइन बाजार पोर्टल में कुल विक्रेताओं में से 15 से 20 प्रतिशत महिला व्यापारी हैं।
पोर्टलों में कारोबार पर भले ही मार्जिन कम हो, लेकिन सौदों की अच्छी-खासी संख्या की वजह से महिलाओं की होती है बढ़िया कमाई।