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एलसीडी और प्लाज्मा में कड़ा मुकाबला

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:00 AM IST

जमाना बदल रहा है, ऐसे में छोटे पर्दे का रूप भी कैसे नहीं बदले। पिछले 10 सालों में टीवी का रूप भी तेजी से बदला है।


कभी टीवी का मतलब हुआ करता था एक भारी-भरकम सी मशीन, जिसे उठाने के लिए कम से कम 4-5 लोगों की जरूरत हुआ करती थी। लेकिन आज तो ऐसे टीवी सेट्स की तरफ कोई झांकना भी पसंद नहीं करता। वजह यह है कि टीवी भी आज की तारीख में स्टेट्स सिंबल बन चुके हैं।

पतले, हल्के और बेहतरीन लुक वाले टीवी सेट्स आज हर किसी की चाहत बन चुके हैं। केवल ऊंचे तबके के लोग ही नहीं, मिडिल क्लास से ताल्लुक रखने वाले लोगों भी ऐसे टीवी सेट्स की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं। पतले और हल्के टीवी सेट्स की दुनिया में दो नाम सबसे ज्यादा लिए जाते हैं। एक तो प्लाज्मा टीवी और दूसरा एलसीडी टीवी।

ये दोनों टीवी सेट्स इतने हल्के और पतले होते हैं कि एक शख्स भी इन्हें एक जगह से उठाकर दूसरी जगह पर ले जा सकता है। साथ ही. इनकी पिक्चर क्वालिटी भी काफी अच्छी होती है। इनके सामने तो आपके पुराने टीवी सेट्स तो कहीं ठहरते ही नहीं। इसका कारण यह है कि इन दोनों में पिक्चर टयूब का इस्तेमाल नहीं होता। इन दोनों में अलग-अलग तरह की तकनीक का इस्तेमाल करके पिक्चर क्वालिटी को और भी बेहतर बना दिया जाता है।

आज भी ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि इन दोनों के बीच क्या अंतर है? दोनों काफी पतले और फ्लैट होते हैं। ऐसे में इनके बीच अंतर कर पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो जाता है। तो चलिए आज के ‘तकनीकी तरकश’ में हम आपको इन्हीं के बारे में बताते हैं।

जबरदस्त है प्लाज्मा टीवी

प्लाज्मा टीवी की बुनियादी तकनीक फ्लोरोसेंट बल्बों से काफी मिलती-जुलती है। प्लाज्मा टीवी के डिस्प्ले में दसियों लाख छोटे-छोटे सेल होते हैं। हर गैस सेल में दो ग्लास पैनल होते हैं, जिनके बीच में बेहद थोड़ी से खाली जगह छोड़ी जाती। बाद में इस जगह में नियॉन-जेनॉन गैस को प्लाज्मा फॉर्म में भर दी जाती है।

फिर उसे सील कर दिया जाता है। जब आप प्लाज्मा टीवी को ऑन करते हैं, तो वो गैस इलेक्ट्रिकली चार्ज हो जाती है। फिर वे सेल्स लाल, हरे और नीले फास्फोरस के साथ मिलकर टीवी पर एक छवि को बनाते हैं। प्लाज्मा टीवी, पिक्चर टयूब पर चलने वाले टीवी सेट्स के मुकाबले कहीं बेहतर पिक्चर क्वालिटी देती है। भाई साहब, इसकी पिक्चर क्वालिटी इतनी जबरदस्त होती है कि मानो आप अपनी खिड़की के बाहर किसी नजारे को निहार रहे हों।

एलसीडी का कमाल

लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले यानी एलसीडी टीवी में प्लाज्मा से बिल्कुल अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। एलसीडी पैनल्स में दो ट्रांसपैरेंट मैटिरियल के दो लेयर होते हैं। ये दोनों लेयर पोलराइज्ड होते हैं और साथ में चिपके होते हैं। इसमें एक लेयर के ऊपर एक खास पॉलीमर की परत चढ़ाई जाती है, जिसमें लिक्विड क्रिस्टल होते हैं।

एक तरह से कहें तो दोनों लेयरों के बीच में लिक्विड क्रिस्टल सैंडविच की तरह भरे होते हैं। जब आप इस ऑन करते हैं, तो इनके बीच बिजली दौड़ती है। इस वजह से वे क्रिस्टल को प्रकाश को जाने देते हैं या फिर उन्हें रोकते हैं, जिस वजह से आपकी आंखों के सामने एक तस्वीर बनती है।

ये क्रिस्टल खुद प्रकाश पैदा नहीं कर सकते, इसलिए एलसीडी टीवी में प्रकाश के एक स्रोत जैसे फ्लोरसेंट बल्ब की जरूरत होती है। चूंकि इसमें किसी तरह के फास्फोरस की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह प्लाज्मा टीवी से कम बिजली का इस्तेमाल करता है। साथ ही, पिक्चर टयूब वाले टीवी से जुदा इस टीवी सेट से ऑंखों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी तरह की कोई किरण नहीं निकलती।

आखिरी फैसला

दोनों तकनीकें अपनी-अपनी जगहें जबरदस्त हैं। फिर यह मुमकिन नहीं है कि दोनों की तुलना न की जाए।  जहां तक पिक्चर क्वालिटी की बात है, तो प्लाज्मा टीवी पर फिल्मों और सिरियल्स को देखना एलसीडी के मुकाबले कई गुना ज्यदा मजेदार होता है। प्लाज्मा टीवी की पिक्चर क्वालिटी वकाई काफी जबरदस्त है। इस पर आपको हर चीज बिल्कुल साफ-साफ दिखाई देगी।

वहीं, इसमें हर चीज का रंग भी बिल्कुल असली लगता है। लेकिन जब बात स्क्रीन लाइफ की आती है, तो बाजी एलसीडी के हिस्से में आती है। आम प्लाज्मा टीवी केवल 9-10 साल तक ही चल पाते हैं, जबकि एलसीडी टीवी कम से कम 18-20 सालों तक चलते हैं। ऊपर से प्लाज्मा टीवी पर आप अगर एक तस्वीर को थोड़ी देर तक देखने लगें तो उसकी परछाई स्क्रीन पर बनती दिखाई देने लगती है। यह वाकई काफी परेशान कर देने वाली बात है।

एलसीडी टीवी के साथ ऐसी कोई दिक्कत सामने नहीं आती। हालांकि, अगर एलसीडी पैनल में कोई क्रिस्टल जल जाए तो वहां काला धब्बा बन जाता है, जो देखने में काफी बुरा लगता है। वैसे, प्लाज्मा टीवी के को पर्वतीय इलाकों में इस्तेमाल करते वक्त दिक्कतें आने की शिकायत की जाती रही है। वहीं एलसीडी टीवी के साथ इसकी कोई दिक्कत नहीं है।

अगर आप अपनी टीवी का इस्तेमाल विडियो गेम खेलने के लिए भी करते हैं, तो आपके लिए एलसीडी ही बेहतर रहेगा। लेकिन आप बड़े टीवी सेटों के शौकिन हैं, तो प्लाज्मा ही लें क्योंकि एलसीडी टीवी केवल 42 इंज तक के रेंज में मौजूद हैं। एलसीडी टीवी को एक से दूसरे जगह पर ले जाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती। इसे आप अकेले ही कहीं भी ले जा सकते हैं। वहीं, प्लाज्मा इसकी तुलना में थोड़ा भारी होता है। वैेसे, एलसीडी टीवी प्लाज्मा टीवी की तुलना में काफी महंगा होता है। 

First Published : June 5, 2008 | 11:40 PM IST