संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कहा कि स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण में जनहित के पहलू को अब व्यापक रूप से मान्यता मिल गई है जिससे हम एक बदली हुई सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इसका उद्देश्य राजस्व को अधिकतम करने तथा गरीबों के लिए सेवाओं को अधिकतम करने के बीच संतुलन बनाना है।
वैष्णव ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) पार्टनरशिप समिट, 2021 को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण पर परामर्श प्रक्रिया जारी है और उद्योग से चर्चा में भाग लेने तथा इस मुद्दे पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को सुझाव देने का आग्रह किया गया है।
उन्होंने कहा, वे (ट्राई) एक अंतिम दस्तावेज के साथ आएंगे, जिसके आधार पर सरकार फैसला करेगी। लेकिन हमारा मानना है कि हमें इसे किफायती बनाना होगा। सोच में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है और कोविड ने हमें दूरसंचार के महत्त्व का अहसास कराया है….सब कुछ डिजिटल हो गया है। वैष्णव ने कहा कि देश और पूरे समाज ने आज माना है कि स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण में जनहित का पहलू शामिल है और पहले स्पेक्ट्रम को एक ऐसे संसाधन के रूप में देखा जाता था जिसका उद्देश्य राजस्व को अधिकतम करना था।
उन्होंने कहा, ‘आज विचार प्रक्रिया में इस बात को लेकर संतुलन है कि राजस्व को अधिकतम करने और गरीबों को अधिकतम सेवा प्रदान करने के बीच एक संतुलन होना चाहिए … आज देश में परामर्श प्रक्रिया में यही संतुलन रखा जा रहा है।’
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी और रेल मंत्री ने साथ ही कहा कि इंटरनेट अपने साथ अवसर और चुनौतियां लेकर आया है और नियम सभी उपयोगकर्ताओं के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इंटरनेट अच्छी चीजों के साथ-साथ बुरी चीजों को भी लाता है। हम चुनौतियों का उचित तरीके से सामना कैसे करें। विनियमन को लेकर काफी सोच-विचार किया गया है और यह वैश्विक सोच के अनुरूप है कि सोशल मीडिया, प्रमुख प्रौद्योगिकी, इंटरनेट…आज जिस तरह से हमारे समाज को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित कर रहे हैं, उसे लेकर कहीं न कहीं संतुलन लाना ही होगा।’
