भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने दूरसंचार क्षेत्र में महज दो कंपनियों की मौजूदगी को ‘दु:खद’ बताते हुए कहा है कि भारत जैसे बड़े देश में कम से कम तीन मोबाइल सेवा प्रदाताओं की जरूरत है।
कतर इकनॉमिक फोरम में बोलते हुए मित्तल ने कहा, ‘भारत में 12 दूरसंचार ऑपरेटरों से घटकर हम महज ढाई रह गए हैं और क्या अब यह घटकर महज दो ऑपरेटर बचेंगे? मेरे विचार से यह काफी दु:खद होगा। भारत एक विशाल देश है और यहां निजी क्षेत्र के कम से कम तीन दूरसंचार ऑपरेटरों का होना जरूरी है। हमें उम्मीद है जल्द ही इस स्थिति से उबर जाएंगे।’
पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दूरसंचार कंपनियों को सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) के बकाये के भुगतान के लिए निर्देश दिए जाने के बाद वोडाफोन आइडिया काफी दबाव में आ गई थी। नकदी संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एजीआर बकाये का भुगतान 10 साल के दौरान करने की अनुमति दी है। दूरसंचार कंपनियों ने कुल बकाये के 10 फीसदी का अग्रिम भुगतान करना शुरू कर दिया है।
दूरसंचार विभाग के अनुसार, वोडाफोन आइडिया पर 58,400 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। इसमें से कंपनी 7,854 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर चुकी है। उसे शेष रकम का भुगतान 10 वार्षिक किस्तों में 31 मार्च 2031 तक कर देना है। भारती एयरटेल पर कुल 43,980 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। जबकि दूरसंचार कंपनी की गणना के अनुसार यह रकम 13,004 करोड़ रुपये होनी चाहिए। कंपनी अब तक 18,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एजीआर की परिभाषा को स्पष्ट किए जाने के बाद दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाये को बढ़ा दिया था। इसी प्रकार दिवालिया कंपनियों के बकाये में भी बढ़ोतरी की गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2019 में एजीआर बकाये पर फैसला दिया था। इसके तहत लाइसेंस शुल्क एवं स्पेक्ट्रम शुल्क सहित दूरसंचार कंपनियों पर सरकार के बकाये की गणना की गई थी।
हालांकि कंपनी के भविष्य को लेकर मित्तल काफी आशान्वित दिखे। उन्होंने कहा, ‘जहां तक एयरटेल का सवाल है तो उसकी जमीनी पकड़ बढ़ रही है, उसने बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई है और एक मजबूत स्थिति में है। अफ्रीका में हमने अब अपनी कंपनी को मजबूत किया है और काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हम अपने लक्ष्यों को लेकर काफी दृढ़ रहे हैं।’
मित्तल से जब पूछा गया कि क्या वैश्विक महामारी ने उन्हें कारोबार पर नए सिरे से विचार करने के लिए मजबूर किया है तो उन्होंने कहा, ‘जाहिर तौर पर डिजिटल में तेजी ने दुनिया भर में लगभग सभी प्रमुख कंपनियों को प्रभावित किया है। अधिक से अधिक डिजिटल टूल्स और माध्यम का उपयोग किया जा रहा है। कंपनियां खुद अपने काम को करने के लिए ऐसा कर रही हैं और सबसे अहम बात यह है कि वे ग्राहकों को कहीं अधिक तेजी एवं कुशल तरीके से सेवाएं उपलब्ध कराने की कोशिश कर रही हैं। मेरे विचार से जो कंपनियां डिजिटल जीवन शैली को नहीं अपनाएंगी वे पीछे रह जाएंगी।’