परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों की ओर से भारत से प्रतिबंध हटा लेने से न केवल परमाणु करार का रास्ता साफ हो गया।
बल्कि परमाणु पदार्थों की आपूर्ति से भारत को परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ दोहरी इस्तेमाल वाली वस्तुओं और तकनीकों में भी फायदा होगा। अगर भारत-अमेरिका परमाणु समझौता हो जाता है, तो देश में विनिर्माण, शोध और विकास के साथ-साथ वैज्ञानिक कार्यक्रमों को भी बल मिलेगा।
इसके तहत सॉफ्टवेयर का भी विकास होगा, जिसका इस्तेमाल आम जरूरतों के साथ-साथ सैन्य जरूरतों के लिए भी किया जा सकता है। अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के पास दोहरे इस्तेमाल की एक ऐसी सूची है, जिससे टाइटेनियम और इसकी मिश्र धातु का इस्तेमाल रसायन, एडवांस लेजर, कंप्यूटर और फ्लाइट कंट्रोल उपकरण में किया जा सकता है।
इस क्षेत्र से जुड़े निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं को इन वस्तुओं का व्यापार उन देशों के साथ करने की पाबंदी है, जिसने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। हालांकि भारत एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, बावजूद इसके पिछले हफ्ते एनएसजी ने दोहरे इस्तेमाल वाली वस्तुओं की आपूर्ति के मामले में भारत को छूट दे दी है। यह भारत के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है।
अब विदेश व्यापार (विकास और रेग्यूलेशन) कानून, 1992 में जल्द ही संशोधन का प्रस्ताव पेश किया जाएगा। एक वरिष्ठ सराकरी अधिकारी ने बताया कि जल्द ही सचिव स्तरीय बैठक होगी, जिसमें संशोधित कानून को कैबिनेट में पास कराने पर विचार किया जाएगा।
दोहरे इस्तेमाल वाली वस्तुओं की आपूर्ति में भारत को छूट
विनिर्माण, शोध और विकास के साथ-साथ वैज्ञानिक कार्यक्रमों को भी मिलेगा बल
पूरी होंगी सैन्य जरूरतें भी