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एयरटेल में बढ़ता ई-कल्चर

Last Updated- December 08, 2022 | 1:06 AM IST

देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने अपने संगठन में ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम के 18 महीने पूरे कर लिए हैं।


अब इसके 25,000 कर्मचारी इसकी ‘ई-कल्चर’ का हिस्सा बन गए हैं। इस कार्यक्रम के तहत भारती एयरटेल के 150 सर्वर कर्मचारियों के 150 टेराबाइट डाटा का प्रबंधन करते हैं। वैसे कंपनी को इसके लिए कोई ‘अतिरिक्त निवेश’ नहीं करना पड़ा। यह कार्यक्रम भी इसकी आउटसोर्सिंग सहयोगी आईबीएम के साथ हुए राजस्व साझेदारी अनुबंध का हिस्सा है।

‘ई टाइज’ नाम के इस प्रोग्राम की शुरुआत 26 फरवरी 2007 को इस मकसद के साथ हुई थी कि कर्मचारियों को नई तकनीक के फायदे से जोड़ा जाए और उनकी क्षमता में इजाफा किया जाए। इस प्रोग्राम का दायरा कंपनी की 150 इकाइयों में आंतरिक ट्रांसफोर्मेशन तक है और समें लगभग 30 सॉफ्टवेयर पैकेज शामिल हैं।

भारती एयरटेल में तकनीक और ग्राहक सेवा के निदेशक जय मेनन कहते हैं, ‘हमनें हमेशा ग्राहकों पर ध्यान दिया है। पिछले साल हमे लगा कि अपने कर्मचारियों पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए। ई टाइज केवल एक आईटी प्रोग्राम ही नहीं है बल्कि इसकी वजह से भारती एयरटेल में ‘ई कल्चर’ को बढ़ावा मिल रहा है।’ इस प्रोग्राम के पांच भाग हैं जिनमें उत्पादकता, सुविधा, सुरक्षा, कर्मचारी विकास और मानव संसाधन शामिल हैं।

प्रोडक्टिविटी ड्राइव में एयरटेल ने ‘माई एयरटेल’ नाम से एक इंटरेक्टिव पोर्टल विकसित किया है। इसके अलावा एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) और सप्लाई चेन मैनेजमेंट (एससीएम) जैसे प्रोग्राम भी कंपनी में लागू कर दिए गए हैं। कर्मचारियों की सुविधा के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) तैयार किया गया है जिसके जरिये कर्मचारी किसी भी समय कहीं से एक्सेस कर सकते हैं।

मेनन कहते हैं, ‘हमारे कर्मचरियों के बीच यह कम्युनिकेशन का बेहतरीन जरिया है। इसके जरिये वे कंपनी के काम के दौरान हुए खर्च का भुगतान भी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही साथ ऑफिशियल टूर और छुट्टी की भी ऑनलाइन अर्जी दे सकते हैं। ‘

अब कुछ ‘सुरक्षा’ की बात कर ली जाए। इस बाबत मेनन कहते हैं,  ‘हमने नेटवर्क, डाटा और एप्लीकेशन की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं।’ जहां तक ‘कर्मचारी विकास’ की बात है तो इसके लिए ‘लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम’ (एलएमएस) तैयार किया है। जिसके जरिये कर्मचारी अपनी जानकारियों में इजाफा कर सकते हैं और खुद अपनी ग्रेड तय कर सकते हैं।

मेनन कहते हैं, ‘इस प्रोग्राम की सफलता को केवल क्षमता के लिहाज से हीं नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इसकी स्वीकार्यता और उपयोगिता के आधार पर आंकना चाहिए।’ ई-टाइज प्रोग्राम की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर महीने लगभग पांच लाख कर्मचारी इसके जरिये टांजेक्शन कर रहे हैं।

मेनन बताते हैं कि पिछले एक साल में उन्होंने 60 लाख शीट सेव की हैं। मेनन कहते हैं, ‘अभी ई-टाइज प्रोग्राम की पहुंच को और बढ़ाना है। और इसमें मोबाइल को भी शामिल किया जाएगा।’ फिलहाल हर महीने तकरीबन 20,000 एम-टाइज ट्रांजेक्शन होता है। उनमें से भी अधिकतर एसएमएस के जरिये ही होता है। मेनन कहते हैं, ‘हम एम ई-टाइज प्रोग्राम को पहले वैप ब्राउजर और बाद में वॉयस ट्रांजेक्शन के जरिये आगे बढ़ाएंगे।’

First Published - October 23, 2008 | 9:54 PM IST

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