केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में सेमी-कंडक्टर के लिए संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के मकसद से 76,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज को आज मंजूरी दे दी। यह वित्तीय प्रोत्साहन चिप फैब्स बनाने वाली नई इकाई की स्थापना के साथ ही डिस्प्ले फैब इकाई और कंपाउंड सेमी-कंडक्टर संयंत्र और एटीएमपी इकाई की स्थापना के लिए दिया जाएगा। इससे देश में सेमी-कंडक्टर उत्पाद डिजाइन करने वाली कंपनियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
पात्र कंपनियों की सेमी-कंडक्टर और डिस्प्ले फैब इकाई को परियोजना लागत की 50 फीसदी तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। सरकार का लक्ष्य देश में दो-दो सेमी-कंडक्टर और डिस्प्ले फैब इकाई स्थापित करने का है।
कंपाउंड सेमी-कंडक्टर इकाइयों (मोबाइल चार्जर, ई-वाहन और दूरसंचार रेडियो में उपयोग होने वाले चिप) के साथ-साथ एटीएमपी इकाई (जहां फैब का परीक्षण और पैकिंग की जाती है) की स्थापना के लिए मंजूर इकाइयों को पूंजीगत व्यय की 30 फीसदी तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। सरकार को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में ऐसी 15 इकाइयां स्थापित हो सकती हैं।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) पैकेज की घोषणा करते हुए संचार एवं इलेक्टॉनिक्स तथा आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इसके जरिये संभावित वैश्विक कंपनियों को दक्षिण कोरिया, अमेरिका और ताइवान जैसे देशों में फैब संयंत्र लगाने पर दिए जाने वाले प्रोत्साहन की तरह ही भारत में भी आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमारी सबसे बड़ी क्षमता हमारा डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र है। भारत में पहले से ही 25,000 डिजाइन इंजीनियर काम कर रहे हैं। सभी प्रमुख देश आज सेमी-कंडक्टर और डिस्प्ले फैब के लिए 50 फीसदी आर्थिक प्रोत्साहन दे रहे हैं। हम भी समान प्रोत्साहन देंगे। साथ ही हम कुछ अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करेंगे। प्रतिभा पैदा करने और उसे पोषित करने के लिए 20 साल का खाका तैयार है और उद्योग को पर्याप्त संख्या में कुशल लोग उपलब्ध होंगे।’
इस प्रोत्साहन में से बड़ा हिस्सा चिप और डिस्प्ले फैब संयंत्रों की स्थापना के लिए दिया जाएगा। अनुमान के अनुसार उन्नत तकनीक वाले चिप संयंत्र के लिए अमेरिका में 300 से 400 करोड़ डॉलर पूंजी की जरूरत होती है और आधुनिक डिस्प्ले फैब इकाई लगाने के लिए 300 करोड़ डॉलर की पूंजी लगानी पड़ती है। विशेषज्ञों ने कहा कि पैकेज का करीब 60 फीसदी हिस्सा इन बड़ी परियोजनाओं के हिस्से में जा सकता है।
इंडिया इलेक्टॉनिक्स ऐंड सेमी-कंडक्टर एसोसिएशन के सलाहकार सत्या गुप्ता ने कहा, ‘सरकार के प्रोत्साहन पैकेज का बड़ा हिस्सा चिप और डिस्प्ले फैब इकाइयों में जाएगा। करीब 200 करोड़ डॉलर कंपाउंड सेमी-कंडक्टर संयंत्रों को मिल सकता है।’
हालांकि इसमें घरेलू चिप उत्पाद डिजाइन कंपनियों को भी शामिल किया गया है, जो तीसरे पक्ष से उत्पादों का विनिर्माण करा उसे बेचती हैं। इसके लिए डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना लाई गई है। इस योजना के तहत उत्पाद डिजाइन से जुड़ी पात्र कंपनियों को पूंजीगत लागत का 50 फीसदी प्रोत्साहन दिया जाएगा और उत्पाद से जुड़ा प्रोत्साहन पांच साल के लिए शुद्घ बिक्री का 6 से 4 फीसदी होगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे करीब 100 घरेलू कंपनियों को मदद मिलेगी और आने वाले पांच साल में ऐसी 20 कंपनियों का राजस्व 1,500 करोड़ रुपये होगा। विशेषज्ञों के अनुसार इसके लिए 1,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत होगी।
नैस्कॉम ने कहा, ‘हम सरकार के प्रयास की सराहना करते हैं। अगले छह साल में यह कार्यक्रम इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में एक नए युग की बुनियाद तैयार करेगा।’
एचसीएल के संस्थापक डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि सिलिकन लॉजिक फैब, डिस्प्ले फैब, कंपाउंड सेमी-कंडक्टर, फैब पैकेजिंग आदि पर ध्यान दिए जाने से देश में टिकाऊ पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित होगा। यह पहला मौका है जब सरकार सेमीकंडक्टर उत्पाद डिजाइन के लिए भी प्रोत्साहन मुहैया करा रही है।
नई नीति देश में सेमी-कंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की दिशा में तीसरा प्रयास है। वर्ष 2007 में इंटेल ने चिप संयंत्र लगाने में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन बाद में वह चीन और वियतनाम चली गई क्योंकि सरकार की नीति और प्रोत्साहन उनके अनुकूल नहीं था। वर्ष 2013 में सरकार ने जेपी समूह के प्रस्ताव सहित दो प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। लेकिन जेपी के प्रवर्तक पूंजी जुटाने में सफल नहीं हो पाए और परियोजना आकार नहीं ले सकी।
नई नीति का सेमी-कंडक्टर कंपनियों ने स्वागत किया है। चिप डिजाइन कंपनी सांख्य लैब्स के सह-संस्थापक हेमंत मल्लापुर ने कहा, ‘सॉफ्टवेयर कंपनियों ने जितना विकास किया, हम उतना विकास कभी नहीं कर पाए। उद्योग में गिनी-चुनी छोटी कंपनियां हैं, जिनका कुल राजस्व 3 करोड़ डॉलर से अधिक नहीं है। चिप सेट डिजाइन करना महंगा है और इसकी लागत 20 लाख से 1 करोड़ डॉलर आती है तथा वेंचर फंड हमें इसके लिए पूंजी नहीं देते हैं। सरकार के प्रोत्साहन से हमारे कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि अभी वे चिप बनवाने के लिए ताइवान जाते हैं और उसकी लागत काफी ज्यादा होती है मगर देश में इसका विनिर्माण होने से लागत भी कम आएगी।
एक वैश्विक चिप डिजाइन कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा कि कौशल विकास और प्रतिभा तैयार करने से सेमी-कंडक्टर के लिए लंबे समय में बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा। हम 20 साल के दृष्टिकोण की सराहना करते हैं। चार चिप और डिस्प्ले संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य थोड़ा महत्त्वाकांक्षी है, लेकिन इसका महत्त्व समझा जा सकता है।
सरकार को इस दिशा में कई कंपनियों से अभिरुचि पत्र प्राप्त हुए हैं और सरकार लक्षित कंपनियों का मूल्यांकन भी कर रही है। सूत्रों के अनुसार इन कंपनियों में वीआईए टेक्नोलॉजीज और यूनाइटेड माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, इंटेल, माइक्रॉन टेक्नोलॉजी, एनएक्सपी सेमीकंडक्टर्स और टैक्सस इंस्ट्रूमेंट्स, फूजी इलेक्ट्रिक, सैमसंग और पैनासोनिक प्रमुख हैं। इसके अलावा घरेलू कंपनियों में टाटा और वेदांत ने भी ओसैट एवं डिस्प्ले फैब के लिए दिलचस्पी दिखाई है।
