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खबर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल के लिए आचार संहिता

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:47 AM IST

ऑनलाइन क्यूरेटेड सामग्री के लिए स्वप्निल सफर खत्म चुका है। सरकार ने सामग्री को नियंत्रित करने के लिए त्रिस्तरीय नियामकीय प्रणाली की गुरुवार को घोषणा की। इसमें दो स्तर स्व-नियमन व्यवस्था के हैं। एक कंपनी और दूसरा उद्योग के स्तर पर। इसके बाद तीसरा स्तर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत सरकार नियंत्रित निगरानी व्यवस्था का होगा। इस नियामकीय व्यवस्था में एक अंतर-विभागीय समिति (जिसमें कई मंत्रालय शामिल होंगे) भी शामिल होगी। अगर कोई शिकायतकर्ता स्व-नियमन संस्थाओं के फैसलों से संतुष्ट नहीं है तो वह समिति में जा सकता है, जो शिकायत निवारण की सर्वोच्च संस्था होगी। हालांकि इस उद्योग के लिए यह खुशी का क्षण नहीं है क्योंकि सरकार ने कुछ सप्ताह पहले 17 ओटीटी कंपनियों द्वारा जल्दबाजी में हस्ताक्षरित स्व-नियमन योजना को आंशिक रूप से ही स्वीकार किया है। इस योजना को दो साल तक विवादित बहस के बाद सरकार को भेजा गया था।
सरकार ने कंपनी के स्तर पर उद्योग द्वारा सुझाई गई शिकायत निवारण प्रणाली के पहले चरण को स्वीकार किया है। इसने ओसीसी को एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है, जो 15 दिन के भीतर शिकायत का समाधान करेगा। लेकिन सरकार ने उद्योग द्वारा इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) के जरिये दिए गए सुझाव को खारिज कर दिया। इसमें कहा गया था कि शिकायत निवारण के दूसरे स्तर के रूप में प्रत्येक ओसीसी तीन सदस्यों की एक सलाहकार संस्था गठित करेगा, जिनमें से एक स्वतंत्र सदस्यों के पैनल से चुना जा सकता है।  इसके बजाय सरकार ने ओसीसी परिचालकों को कंपनी की संस्था के बजाय एक स्वतंत्र संस्था गठित करने का निर्देश दिया गया है। इसका गठन एसोसिएशन करेगा। यह प्रसारण शिकायतें सुनने वाले इंडियन ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के समान होगा। सरकार ने कहा है कि इस स्व-नियमन संस्था की अध्यक्षता सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, जिन्हें मंत्रालय द्वारा तैयार पैनल में से नियुक्त किया जाएगा। इसमें छह अन्य सदस्य होंगे, जो मीडिया, प्रसारण, तकनीक एवं मनोरंजन के विशेषज्ञ होंगे। इस संस्था को चेतावनी, सेंसर, क्षमा मांगने के लिए कहने, रेेटिंग के पुनर्वर्गीकरण आदि की शक्तियां प्राप्त होंगी।
तीसरे स्तर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत निगरानी व्यवस्था की जाएगी। मंत्रालय स्व-नियमन संस्थाओं के लिए चार्टर प्रकाशित करेगा और स्व-नियमन संस्थाओं से पैदा होने वाली शिकायतों की सुनवाई के लिए अंतर-मंत्रालय समिति बनाएगा।
इन निकायों के लिए सॉफ्ट टच नियामक ढांचा स्थापित करने का प्रयास करते हुए सरकार ने कहा कि नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी मंचों को (दर्शकों की) उम्र पर आधारित पांच श्रेणियों- यू (यूनीवर्सल), यू/ए सात साल (से अधिक उम्र के), यू/ए 13 से (अधिक उम्र के), यू/ए 16 से (अधिक उम्र के) और ए (बालिग) में अपने आप को वर्गीकृत करना होगा।   

First Published : February 25, 2021 | 11:32 PM IST