उच्च शिक्षा संस्थानों में पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बाद सभी आईआईएम में इस साल की प्रवेश प्रक्रिया पटरी से उतर गई है।
इन संस्थानों को साल 2008 से 2010 के बैच के लिए उम्मीदवारों की आखिरी सूची कल यानी 11 अप्रैल को जारी करनी थी लेकिन अभी सुप्रीम कोर्ट ने नई प्रवेश प्रक्रिया के बारे में कुछ नहीं कहा है इसलिए यह प्रक्रिया कम से कम एक हफ्ते के लिए टल जाएगी।
आईआईएम अहमदाबाद के निदेशक समीर बरुआ ने कहा कि हमें 11 अप्रैल को उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करनी थी पर अब कोर्ट को फैसले के बाद सभी आईआईएम इस पर विचार करेंगे और वे एक हफ्ते के लिए सूची जारी करना टाल सकते हैं क्योंकि सारे आईआईएम एक ही दिन सूची निकालते हैं। ज्यादातर आईआईएम ने दो सूची बना ली है – एक ओबीसी कोटा के साथ और दूसरी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार मगर किसी ने क्रीमी लेयर को बाहर करने के बारे में नहीं सोचा था।
आईआईएम बंगलूर के एक अधिकारी ने कहा, हमने कुछ पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया था पर उसमें पारिवारिक पृष्ठभूमि का ध्यान नहीं रखा। अब हमें सूची जारी करने से पहले इसका सत्यापन करना होगा। आईआईएम अहमदाबाद ने 250 छात्रों की एक अंतिम सूची तैयार कर ली है। उम्मीद है कि वह इसमें ओबीसी कोटे की 17 सीटें जोड़ेगा। आईआईएम बंगलूर को 251 छात्रों को दाखिला देना है। वह ओबीसी के 19 छात्र इसमें शामिल करेगा।
चूंकि मानव संसाधन मंत्रालय ने अभी तक आईआईएम संस्थानों को इस बारे में कुछ नहीं बताया है इसलिए यह साफ नहीं हो पाया है कि आरक्षण किस तरह से लागू किया जाएगा। वर्ष 2007 में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से पहले आईआईएम के निदेशकों को मानव संसाधन मंत्रालय से एक निर्देश मिला था जिसमें ओबीसी आरक्षण को तीन चरणों में लागू करने की बात कही गई थी।
साथ ही इसमें संस्थानों की सीटों में इजाफा करने की बात भी कही गई थी ताकि सामान्य श्रेणी के छात्रों के साथ कोई नाइंसाफी न हो। उदाहरण के लिए आईआईएम अहमदाबाद को पहले चरण में 6 फीसदी ओबीसी आरक्षण के साथ सीटों में 12 फीसदी बढ़ोत्तरी करनी थी।
वीरप्पा मोइली समिति ने सभी आईआईटी से भी कहा है कि वह अपनी सीटों में 18 फीसदी का इजाफा करें ताकि 54 फीसदी सीटों को बढ़ाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। इसी के साथ इन संस्थानों को हर साल 9 फीसदी ओबीसी आरक्षण भी देना होगा ताकि 27 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।