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वायु तरंगों के आवंटन के साथ 5जी परीक्षण की शुरुआत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:21 AM IST

केंद्र सरकार ने दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को वायु तरंगें आवंटित कर देश में 5जी परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने 5जी परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलूरु, गुजरात, हैदराबाद समेत विभिन्न जगहों पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया है।
इन कंपनियों को 700 मेगाहट्र्ज, 3.3-3.6 गीगाहट्र्ज और 24.25-28.5 गीगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम दिया गया है। पता चला है कि कंपनियों को 3.5 गीगाहट्र्ज बैंड में 100 यूनिट, 26 मेगाहट्र्ज मिलीमीटर वेव में 800 यूनिट और प्रीमियम 700 मेगाहट्र्ज बैंड में 10 यूनिट का आवंटन किया है। चीन की दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों को परीक्षण से बाहर रखा गया है।
परीक्षण पूरे होने के बाद 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामियों की तैयारी शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक दूरसंचार सेवा प्रदाता 900 मेगाहट्र्ज, 1,800 मेगाहट्र्ज और 2,300 मेगाहट्र्ज बैंड में अपने मौजूदा 4जी स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल भी परीक्षण में कर सकते हैं। परीक्षण के लिए छह महीने की मियाद स्पेक्ट्रम आवंटन की तारीख यानी 27 मई से शुरू हो गई है।
सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक एसपी कोछड़ ने कहा, ‘आम तौर पर परीक्षण पूरे होने के बाद आंकड़े सरकार और विशेषज्ञों को सौंप दिए जाते हैं और उनकी जांच-पड़ताल एवं सोच विचार की प्रक्रिया खत्म होने के फौरन बाद स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू हो जाती है।’
दूरसंचार विभाग ने 4 मई को 5जी परीक्षण के लिए रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और एमटीएनएल के आवेदनों को मंजूरी दी थी मगर उन्हें चीनी कंपनियों की तकनीक के बगैर परीक्षण करने हैं। विभाग ने एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट के साथ मिलकर 5जी परीक्षणों को मंजूरी दी थी। रिलायंस जियो इन्फोकॉम देश में ही विकसित अपनी तकनीक का इस्तेमाल करेगी।
सरकार मानती है कि 5जी तकनीक 4जी से 10 गुना अधिक डाउनलोड स्पीड दे सकती है और स्पेक्ट्रम का तीन गुना अधिक इस्तेमाल उससे हो सकता है। परीक्षण के दौरान भारत की आवश्यकताओं में 5जी के इस्तेमाल की परीक्षा होगी। इसमें टेली-मेडिसिन, टेली-एजूकेशन और ड्रोन के जरिये कृषि निगरानी आदि शामिल हैं। दूरसंचार कंपनियां अपने नेटवर्क पर विभिन्न 5जी उपकरणों का परीक्षण कर पाएंगी।
परीक्षण के लिए फिलहाल छह महीने तय किए गए हैं, जिनमें उपकरणों की खरीद और स्थापना के दो महीने भी शामिल हैं। मंजूरी की चि_ी में लिखा है कि हरेक दूरसंचार सेवा प्रदाता को शहरी इलाकों के साथ ग्रामीण एवं कस्बाई इलाकों में भी परीक्षण करना होगा ताकि 5जी तकनीक का फायदा पूरे देश को मिले केवल शहरी इलाकों को नहीं।
परीक्षण के लिए ई और वी बैंड में भी वायु तरंगें दी गई हैं। इन दोनों बैंडों की वायु तरंगें करीब 1,000 मेगाबिट प्रति सेकेंड की रफ्तार से डेटा भेज सकती हैं। ई बैंड की वायु तरंगें 71 से 76 गीगाहट्र्ज और 81 से 86 गीगाहट्र्ज के बीच तथा वी बैंड की तरंगें 57 से 64 गीगाहट्र्ज के बीच आती हैं। इन स्पेक्ट्रम बैंड का इस्तेमाल मुख्य रूप से डेटा ट्रांसमिट भेजने के लिए दूरसंचार नेटवर्क के कोर को टावरों से जोडऩे में होता है। उद्योग इन वायु तरंगों की नीलामी की मांग कर रहा है क्योंकि इन दोनों तरंगों से 5जी का बेरोकटोक अनुभव मिलता है। खबर है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी अगले वित्त वर्ष के लिए टाली जा सकती है। पहले यह प्रक्रिया चालू वित्त वर्ष के आखिर तक पूरी होने की संभावना थी। 5जी नीलामी में वायु तरंगों की आधार कीमत को किसी तरह तर्कसंगत बनाया जा सकता है। इसमें प्रीमियम 700 मेगाहट्र्ज बैंड भी शामिल है, जो हाल की नीलामी में उससे पिछली नीलामी की तुलना में 40 फीसदी सस्ता करने के बाद भी नहीं बिक पाया। वर्ष 2016 की नीलामी में भी ऊंची कीमत की वजह से इसे किसी दूरसंचार कंपनी ने नहीं खरीदा था।

First Published : May 28, 2021 | 11:35 PM IST