सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के आला अधिकारी कर्नाटक आईटी यूनियन (कीटू) की उस मांग पर सहमत नहीं हैं, जिसमें राज्य सरकार से आईटी/आईटीईएस क्षेत्र को औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम से मिली छूट खत्म करने का अनुरोध किया गया है। बेंगलूरु में आईटी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के एक वर्ग ने कीटू के बैनर तले 16 मार्च को श्रम आयुक्त कार्यालय के सामने विरोध-प्रदर्शन किया था, जिससे यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया।
कर्नाटक में आईटी और उससे जुड़े क्षेत्रों में में 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और इस उद्योग को चार से अधिक बार इस कानून से छूट दी गई है। अंतिम बार इसे 15 मई, 2019 को छूट दी गई थी, जिसकी मियाद 25 मई, 2024 को खत्म हो रही है।
कीटू ने बयान में कहा, ‘कीटू कर्नाटक में आईटी और इससे संबंधित क्षेत्र के लिए एकमात्र पंजीकृत यूनियन है, जिसके 10,000 से ज्यादा सदस्य हैं। यूनियन ने सरकार से छूट को आगे नहीं बढ़ाने की मांग की है क्योंकि नियोक्ता को जिन चार शर्तों पर छूट प्रदान की गई थी, उनका पालन नहीं किया जा रहा है।’
क्रॉस आइडेंटिटी के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विनोद सिंह ने कहा, ‘औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम काफी पुराना है और आईटी या अन्य आधुनिक कारोबार को इसके दायरे में नहीं लाना चाहिए।’
सिंह ने कहा कि अधिनियम को बहाल करने का यह प्रदर्शन शायद उद्योग में बड़े पैमाने पर हुई छंटनी के जवाब में है मगर इस कारोबार में ऐसा ही होता है। उन्होंने कहा, ‘अगर कोई कंपनी विफल हो रही है और बचाए रखने के लिए कुछ करना चाहती है तो कभी-कभार बड़े पैमाने पर छंटनी की भी आवश्यकता होती है। यह रोजगार की प्रकृति और आधुनिक व्यवसाय का स्वभाव है। सरकारी कानून की मदद से नौकरियां बनाने के प्रयास से किसी को फायदा नहीं होगा। कंपनी पर अगर बाबा आदम के जमाने के कानून और अफरशाही पर चलने के लिए कहा जाता है तो कंपनी बंद हो जाएगी।’
इन्फोसिस के निदेशक मंडल के पूर्व सदस्य वी बालकृष्णन इससे सहमत हैं कि आईटी उद्योग उभरता हुआ क्षेत्र है और इसे कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करते हुए विकास के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर आईटी उद्योग को वैश्विक स्तर पर होड़ करनी है तो उसके लिए लचीले नियमों की जरूरत होगी।
स्टार्टअप उद्योग अभी विकास के चरण में है और उसे भी लचीलेपन की आवश्यकता है। अत्यधिक नियमन उद्योग को पंगु बना देगा और इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता को भी प्रभावित करेगा। इसलिए सरकार को यह छूट बरकरार रखनी चाहिए और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए कानून में निर्धारित शर्तों का सख्ती से पालन करना चाहिए।’
बेंगलूरु की एक आईटी कंपनी में मझोले स्तर के पूर्व कार्याधिकारी ने कहा कि आईटी क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां वैश्विक एचआर के सर्वश्रेष्ठ नियमों का पालन करती हैं, इसलिए उन्हें पुराने श्रम काकूनों से छूट दी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘हम वैश्विक उद्योग हैं और दुनिया भर के देशों के साथ कारोबार करते हैं तथा इस क्षेत्र के कर्मचारी दुनिया भर में कार्यरत हैं, इसलिए इस उद्योग को श्रम विभाग के दायरे से बाहर रखना चाहिए।’
कुछ कंपनियों ने कर्नाटक के श्रम मंत्रालय से छूट वापस लेने के संभावित परिणामों को निर्धारित करने के लिए श्रमिक संघ के नेताओं और आईटी क्षेत्र के साथ व्यापार चर्चा करने का आग्रह किया है।