मौजूदा आर्थिक माहौल में जहां अंतरराष्ट्रीय ग्राहक अपने खर्च में कमी कर रहे हैं, अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े पारंपरिक बाजारों में भी भारतीय आईटी कंपनियों का जलवा नहीं चल पा रहा है।
मालूम हो कि ज्यादातर आईटी कंपनियों की 80 फीसदी आमदनी अमेरिका और यूरोप के बाजारों से ही होती है। इस स्थिति में अगली तीन तिमाहियों में आय के आंकड़े को सुधारने के लिए भारतीय आईटी कंपनियों को अपने उत्पादों की कीमतों में 5 से 20 फीसदी तक की कटौती करनी पड़ेगी।
वैसे भी धीमी पड़ चुकी अर्थव्यवस्था में भारतीय आईटी कंपनियां मामूली लाभ पर ही काम कर रही है। मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही की तुलना में तीसरी तिमाही में ज्यादातर आईटी कंपनियों की बिलिंग दर या तो सपाट रही या उसमें थोड़ी बहुत कटौती की गई।
मिसाल के तौर पर इन्फोसिस ने तीसरी तिमाही में नकारात्मक मूल्य विकास दर दर्ज की, जबकि दूसरी तिमाही की तुलना में मूल्य में 1.8 फीसदी की कमी दर्ज की गई। दूसरी तिमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में माइंडट्री की प्राइसिंग भी सपाट रही।
विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादातर आईटी कंपनियों ने अपने मौजूदा ग्राहकों के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय अपने मूल्य में 5 से 12 फीसदी तक की कटौती की है। इसके अलावा ये आईटी कंपनियों उन सेवाओं को भी मुहैया करा रही है, जिनका जिक्र मूल कॉन्ट्रैक्ट में नहीं किया गया था।
इससे साफ जाहिर है कि मौजूदा या नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आईटी कंपनियां तरह तरह के पैंतरे अपना रही है। इसके अलावा वे निर्धारित समय से पहले आउटसोर्सिंग परियोजनाओं के लिए सेवा प्रदान कर रही है। दरअसल इतनी जी तोड़ कोशिश का मकसद कंपनियों द्वारा मौजूदा तिमाही में अपनी बैलेंस शीट को दुरुस्त करना है।
गार्टनर के मुताबिक आउटसोर्सिंग में आईटी सेवा की प्राइसिंग 2009 और 2010 में 5 से 20 फीसदी तक कम होने का अनुमान लगाया गया है। मौजूदा अनिश्चित आर्थिक माहौल, आईटी बजट में कमी और सामान्य बाजारों में सचेतना के अभाव की वजह से इस तरह की आशंका जताई जा रही है। इसलिए इस दौर में लागत आधारित खरीदारी की वजह से भी आईटी इन्फ्र ास्ट्रक्चर सेवाओं की कीमतों में कटौती की जाने की संभावना है।
नैस्डैक में सूचीबद्ध कंपनी आईगेट के सीईओ फणीश मूर्ति ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अभी का माहौल काफी कठिन है और इस दौर में लागत को नियंत्रित करने के सिवा कोई विकल्प भी तो नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमलोग अनुमान लगा रहे हैं कि बिलिंग रेट में इस कैलेंडर वर्ष में 4 से 5 फीसदी तक की कटौती की जा सकती है।
