उद्योग

अमेरिकी टैरिफ से भारतीय होम टेक्सटाइल उद्योग पर संकट, 5-10% आय घटने का अंदेशा: क्रिसिल रेटिंग्स

अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है, जिसमें रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से 25 फीसदी का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है

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ऋषिका अग्रवाल   
Last Updated- September 11, 2025 | 6:48 PM IST

भारत के होम टेक्सटाइल उद्योग के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। क्रिसिल रेटिंग्स की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ की वजह से इस उद्योग की आय में 5-10 फीसदी की कमी आ सकती है। इसके साथ ही मुनाफे में भी कमी आने की आशंका है। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है, जिसमें रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से 25 फीसदी का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही व्यापारिक बातचीत जारी रखने की बात कही हो, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है।

निर्यात पर भारी असर

होम टेक्सटाइल उद्योग की कमाई का तीन-चौथाई हिस्सा निर्यात से आता है। इस उद्योग का कुल बाजार आकार वित्त वर्ष 2025 में 81,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो पिछले साल 75,000 करोड़ रुपये था। इसमें से अमेरिका को निर्यात 26,000 करोड़ रुपये का था, जो पिछले साल 25,000 करोड़ रुपये था। दूसरी ओर, अन्य देशों को निर्यात 23,000 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2024 में 20,000 करोड़ रुपये था। घरेलू बिक्री भी बढ़ी है, जो 2025 में 32,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 29,000 करोड़ रुपये थी। क्रिसिल ने 40 होम टेक्सटाइल कंपनियों का विश्लेषण किया, जो उद्योग की कुल आय का 40-45 फीसदी हिस्सा हैं।

पहले से भरी उम्मीदें, अब चुनौती

वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में अमेरिका को निर्यात में 2-3 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी। लेकिन टैरिफ बढ़ने से पहले अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच ऑर्डर में तेजी आई थी, क्योंकि कंपनियों ने पहले से माल भेजने की कोशिश की। अब टैरिफ की मार से उद्योग को नुकसान होने की आशंका है। अमेरिका को होने वाला निर्यात बाकी देशों के कुल निर्यात से ज्यादा है, इसलिए इसका असर गहरा होगा।

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नुकसान कम करने की कोशिश

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ चीजें उद्योग को इस झटके से उबरने में मदद कर सकती हैं। पहला, अप्रैल से अगस्त 2025 के बीच पहले से भेजे गए ऑर्डर। दूसरा, यूरोपीय संघ (ईयू) और यूनाइटेड किंगडम (यूके) जैसे वैकल्पिक बाजारों की तलाश। तीसरा, चीन, पाकिस्तान और तुर्की जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की सीमित उत्पादन क्षमता। इसके अलावा, कंपनियों के कर्ज में कमी भी उनकी क्रेडिट प्रोफाइल को कुछ हद तक बचा सकती है। क्रिसिल रेटिंग्स के डिप्टी चीफ रेटिंग ऑफिसर मनीष गुप्ता ने कहा, “प्रतिस्पर्धी देशों की कॉटन-आधारित होम टेक्सटाइल बनाने की क्षमता सीमित है। इससे भारत अल्पकाल में अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति बनाए रख सकता है।”

यूके और ईयू में नई संभावनाएं

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूके और ईयू के साथ बढ़ता व्यापार इस नुकसान को कम करने में मदद करेगा। वित्त वर्ष 2025 में इन दोनों क्षेत्रों को भारत का होम टेक्सटाइल निर्यात कुल निर्यात का 13 फीसदी था। भारत ने हाल ही में यूके के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया है और ईयू के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। हालांकि, नए बाजारों से आय बढ़ाने में समय लगेगा। क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर गौतम शाही ने बताया, “अमेरिका को निर्यात से होने वाला मुनाफा इस वित्त वर्ष के बाकी समय में तेजी से घट सकता है। भारतीय निर्यातक टैरिफ का कुछ हिस्सा खुद वहन करेंगे और अमेरिका में महंगाई के कारण मांग में भी कमी आ सकती है।”

आगे की चुनौतियां

रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग की राह आसान नहीं होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका भारत पर टैरिफ जारी रखता है या नहीं। इसके अलावा, केंद्र सरकार की नीतिगत मदद, अमेरिका में मांग का रुझान और कॉटन की कीमतें भी अहम होंगी। उद्योग को इन चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति बनानी होगी।

First Published : September 11, 2025 | 6:48 PM IST