महानगरों में घटती मांग को देखते हुए अब मॉल डेवलपर छोटे शहरों में कारोबार तलाश रहे हैं। ये उभरते टियर-II, III और IV क्षेत्रों में बढ़ती खपत को भुनाने की जुगत में लगे हैं। चाहे अहमदाबाद, सूरत, चंडीगढ़, जयपुर, कोयंबत्तूर, तिरूर, पेरिनतालमन्ना हों या वाराणसी, गोरखपुर, विजयवाड़ा, अमरावती और कानपुर जैसे तमाम अन्य केंद्र, आने वाले समय में इनमें बड़े-बड़े ब्रांड के चमचमाते मॉल नजर आएंगे।
लुलु शॉपिंग मॉल्स, नेक्सस सिलेक्ट ट्रस्ट, फीनिक्स मॉल, ब्रिगेड ग्रुप जैसी कंपनियों की नजर मझोले शहरों में ऐसे मॉल पर है जो सही तरीके से कारोबार नहीं कर पा रहे हैं। ये कंपनियां उन्हें दोबारा विकसित कर नए जमाने के हिसाब से बाजार में पेश करने की योजना बना रही हैं।
उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने मॉल डेवलपर के अपेक्षाकृत छोटे शहरों की तरफ तेजी से बढ़ते रुझान के पीछे खपत में बदलाव के साथ-साथ कई अन्य कारण गिनाए हैं। अभी टियर-II और III शहरों में स्थानीय डेवलपर अक्सर पारिवारिक स्वामित्व वाली भूमि पर या खुदरा क्षेत्र में विस्तार कर छोटे मॉल बना रहे हैं। ये माल बदलती उपभोक्ता पसंद पर या तो खरे नहीं उतर रहे या जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे। इस उद्योग से जुड़ीं बड़ी कंपनियां इसी का फायदा उठाने के लिए आक्रामक रणनीति के साथ इन शहरों में प्रवेश कर रही हैं।
कुशमैन ऐंड वेकफील्ड के प्रबंध निदेशक (कैपिटल मार्केट्स ऐंड हेड-रिटेल इंडिया) सौरभ शतदल ने कहा, ‘टियर II और III शहरों में बड़े-बड़े मॉल बन रहे हैं। इन बाजारों में बढ़ती आय के स्तर, शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार और महत्त्वाकांक्षी खपत व्यवहार जैसे सामाजिक एवं उपभोक्ता पसंद बदलावों के कारण बड़े मॉल के लिए जगह बनती जा रही है।’ बड़ी मॉल कंपनियों का छोटे शहरों पर दांव लगाने का एक बड़ा कारण प्रतिस्पर्धी दरों पर भूमि की उपलब्धता, प्रीमियम मॉल्स की कमी और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के खुदरा ब्रांडों की बढ़ती मांग भी है।
बड़ी कंपनियां किस प्रकार आक्रामक विस्तार योजनाओं को अमल में ला रही हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विजाग में के रहेजा 6,00,000 वर्ग फुट का मॉल बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसी प्रकार फीनिक्स मिल्स ने सूरत में 10 लाख वर्ग फुट में मॉल विकसित करने के लिए 7.22 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया है। इसके अलावा, लुलु समूह ने लखनऊ, अहमदाबाद, विजाग और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में लुलु मॉल शुरू करने जा रही है। लुलु समूह पूरी तरह स्थानीय जरूरतों के अनुरूप छोटे-फॉर्मेट मॉल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
लुलु के निदेशक शिबू फिलिप्स ने कहा, ‘हमने छोटे बाजारों की क्षमता को पहले ही पहचान लिया था। कंपनी ने 2019 में केरल के त्रिशूर में अपना पहला मिनी मॉल लॉन्च किया था। इसकी कामयाबी के बाद ही आगे बढ़ाते हुए हम 2025 के अंत तक तिरूर और पेरिनतालमन्ना में इसी तरह के मॉल खोलने जा रहे हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी छोटे शहरों में मिनी मॉल का विस्तार कर रहे हैं। आने वाले समय में वाराणसी, गोरखपुर, विजयवाड़ा, अमरावती और कानपुर में उनके मिनी मॉल दिखाई देंगे।’ मैसूरु, कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में पहले से मॉल संचालित कर रहा ब्रिगेड समूह भी महानगरों से आगे बढ़ते हुए विस्तार योजनाओं को मूर्तरूप दे रहा है।
ब्रिगेड समूह के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिटेल) सुनील मुंशी ने कहा, ‘अपेक्षाकृत छोटे शहरों में इस वक्त विकास और शहरीकरण का विस्तार हो रहा है। यही वजह है कि ये हम जैसे डेवलपर के लिए काफी आकर्षक केंद्र बन कर उभरे हैं।’
एनारॉक इंडिया के एमडी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (रिटेल) अनुज केजरीवाल ने मॉल के विस्तार के कई और कारण गिनाते हैं। उन्होंने कहा, ‘स्थानीय डेवलपर छोटे मॉल बना रहे हैं, जबकि नेक्सस और फीनिक्स जैसे ब्रांड छोटे शहरों में 8,00,000 से लेकर 20 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल में बड़े मॉल के साथ बाजार में आ रहे हैं। इससे स्थानीय खुदरा बाजार परिदृश्य गड़बड़ा जाता है।’
सरकार के 2023-24 के घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण में थोड़ा सोच-समझ कर किए जाने वाले खर्च में वृद्धि देखी गई है। बाजार में टिकाऊ वस्तुओं, डिब्बाबंद भोजन और मनोरंजन की मांग बढ़ रही है। केंद्रीय बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग को कर राहत देकर छोटे और मझोले शहरों में बचत या खर्च करने योग्य आय में बढ़ोतरी हो रही है। इसका सीधा असर खपत वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है। मांग में बढ़ोतरी और बुनियादी ढांचा विकास के कारण कारोबारी लिहाज से उभरते शहर और बाजार मॉल डेवलपर के लिए पसंदीदा जगह बनते जा रहे हैं।
दिल्ली में सेलेक्ट सिटी मॉल के साथ देश भर में 18 मॉल में 1.04 करोड़ वर्ग फुट रिटेल स्पेस का संचालन कर रही ब्लैकस्टोन के समर्थन वाली नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट को उम्मीद है कि आने वाले समय में बड़े शहरों की तुलना में छोटे और मझोले शहरों का विकास तेज गति से होगा। कंपनी के सीओओ जयन नायक ने कहा, ‘टियर II और III शहरों के मॉल में साल-दर-साल लगभग 12 से 14 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जबकि बड़े नगरों में वृद्धि ठहर सी गई है और यह इस समय एक अंक में ही है।’
उन्होंने कहा कि कंपनी ऐसे ग्रेड-ए मॉल की तलाश कर रही है, जिन्हें नए सिरे से विकसित भी किया जा सके। इसके अलावा इसे आसपास के 30 से 50 किलोमीटर क्षेत्रों के लिए खुदरा निवेश का केंद्र बनाया जा सके।