देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर ने प्रतिस्पधी सीबामेड इंडिया के उन दावों को अस्वीकार कर दिया है कि साबुन का पीएच मान ही यह तय करता है कि यह त्वचा के लिए अच्छा है या नहीं। भारत में साबुन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी एचयूएल है और इसके ब्रांडों में लक्स, लाइफबॉय, लिरिल, पेयर्स और डव आदि शामिल हैं। सीबामेड ने इस महीने जारी अपने विज्ञापन अभियान में कहा था कि लक्स, डव, पेयर्स और डिटर्जेंट रिन बार का पीएच मान 5.5 से ऊपर है।
एचयूएल ने सीबामेड को अदालत में घसीटा लकिन जर्मनी की पर्सनल केयर कंपनी को पिछले हफ्ते बंबई उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली, जिसके बाद उसे अपना अभियान संशोधन के साथ दोबारा शुरू करना पड़ा।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में यूनिलीवर के वैश्विक उपाध्यक्ष (शोध व विकास-स्किन क्लिनजिंग) वैभव सैंजगिरि ने कहा, कंपनियां अब एक चीज पीएच पर ध्यान दे रही है और उसे दरकिनार कर रही है कि साबुन व क्लिनजिंग बार में जिन चीजों का इस्तेमाल होता है, उसकी काफी अहमियत होती है। वैभव एचयूएल के कार्यकारी निदेशक और आरऐंडडी इंडिया के साइट लीडर भी हैं।
उन्होंने कहा, यहां गलत दृष्टांत दिया जा रहा है और कंपनियां उन चीजों के फायदे को दरकिनार कर रही हैं, जो स्किन के लिए अच्छे हैं। वे इन वास्तविकताओं को भी दरकिनार कर रहे हैं कि वे भारतीय मानक ब्यूरो के अनुरूप उत्पादों की तुलना कर रहे हैं। वे 8 जनवरी को पहली बार जारी सीबामेड के अभियान पर बोल रहे थे।
साबुन का निर्माण फैटी एसिड्स के सॉल्ट, तेल, ग्लिसरिन व त्वचा के लिए फायदेमंद अन्य चीजों से होता है। अच्छे फॉम्र्युलेशन में यह देखा जाता है कि ये चीजें एक साथ मिलकर कैसा काम करेगी, न कि पीएच पर ध्यान दिया जाता है।
दूसरी ओर पीएच को किसी सॉल्युशन में हाइड्रोजन आयन के संकेंद्रण के तौर पर पारिभाषित किया जाता है। यह मूल रूप से यह तय करता है कि कोई उत्पाद कितना एसिडिक या अल्कलाइन है। 0-14 के पीएच स्केल पर 7 को तटस्थ माना जाता है। पानी का पीएच मान 7 है, वहीं दूध का पीएच मान 8, मधु का 3.5 और हल्दी का 9.6 है। इन चीजों का इस्तेमाल स्किनकेयर उत्पादों में किया जाता है और ये काफी फायदेमंद होते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो के दिशानिर्देश (साबुन) में पीएच को अलग रखा गया है और इसमें साबुन में इस्तेमाल तत्व सुरक्षा व नरमाहट के लिहाज से ठीक हैं या नहीं, इस पर ध्यान दिया गया है।
एचयूएल के जवाब में सीबामेड इंडिया के कंट्री हेड शशि रंजन ने कहा, उपभोक्ताओंं को उत्पादों का पीएच मान जानने का हक है। उन्होंने कहा, सिर्फ पीएच ही एकमात्र मानदंड नहींं है लेकिन यह अहम संकेतक है कि त्वचा के लिए यह कितना सुरक्षित है। यह अलग अलग तरह की त्वचा के लिए मानक तय करने में मदद करता है, ठीक उसी तरह जैसे कि शरीर के तापमान या रक्तचाप के लिए मानक होते हैं। पर्सनल केयर के विज्ञापन मेंं ये चीजें नई है और लोगों को समझने में समय लगेगा।
