होटल कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ऋण पुनर्गठन पर केवी कामत समिति की सिफारिशों से भारी ऋण बोझ से जूझ रहे आतिथ्य सेवा क्षेत्र को कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि उन्होंने इस बात को लेकर आशंका जताई कि लेनदार ऋण पुनर्गठन के विकल्प को अपनाएंगे और उन्हें राहत प्रदान करेंगे। आतिथ्य सेवा क्षेत्र का कुल ऋण बोझ करीब 45,000 करोड़ रुपये है। विश्लेषकों ने कहा कि इसमें से करीब एक तिहाई ऋण को पुनर्गठित किया जा सकता है।
होटल सलाहकार फर्म होटेलिवेट के सह-संस्थापक और चेयरमैन मानव थडानी ने कहा कि यह सभी होटलों के लिए उपयुक्त नहीं रहेगा क्योंकि हरेक होटल का आकार अलग-अलग है। उन्होंने कहा, ‘इससे काफी हद तक उन लोगों को फायदा होगा जो अच्छी स्थिति में थे लेकिन अब इस वैश्विक महामारी के चपेट में आ गए हैं। इसलिए इस क्षेत्र के कुल करीब 45,000 करोड़ रुपये के ऋण में से वास्तव में केवल एक तिहाई को ही पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।’
होटल कारोबारियों ने कहा कि सबसे अहम बात यह है कि इस क्षेत्र को ऋण देने के लिहाज से योग्य करार दिया गया है लेकिन जमीनी स्तर पर उसकी मुश्किलें कैसे बढ़ जाती है, यह एक गंभीर सवाल है। द फन्र्स हॉस्पिटैलिटी ऐंड रिजॉट्र्स के मुख्य परिचालन अधिकारी सुहैल कन्नमपिल्लै ने कहा, ‘हम केवी कामत समिति की सिफारिशों से खुश हैं। कम से कम इससे होटलों को अपने
ऋण को पुनर्गठित करने और मोहलत की अवधि बढ़ाने का अवसर मिलेगा।’
कन्नमपिल्लै ने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसे लागू कैसे किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र आतिथ्य सेवा क्षेत्र को गैर-आवश्यक क्षेत्र के तौर पर देखता है और लाभ को आगे न बढ़ाने की उनकी प्रवृत्ति होती है। सिफारिशों में यह बैंकों के ऊपर छोड़ दिया गया है कि मामला दर मामला आधार पर वह पुनर्गठन पर विचार करे।
समिति द्वारा सुझाए गए सामान्य दिशानिर्देशों में ऋण की शेष अवधि को मोहलत की अवधि में भुगतान अथवा बिना भुगतान के साथ अधिकतम दो वर्षों का विस्तार दिया जाए। यदि मोहलत की अवधि मंजूर की गई है तो उसे समाधान योजना (आरपी) के लागू होने पर तुरंत प्रभावी किया जाए। आरपी को लागू करने के क्रम में यह महत्त्वपूर्ण है कि परिसंपत्ति के वर्गीकरण को मानकके रूप में बरकरार रखा जाए अथवा उसे मानक के रूप में अपग्रेड किया जाए।