घरेलू बाजार की बिक्री में सुस्ती, इंडोनेशियाई कारोबार में मंदी और मार्जिन पर दबाव के कारण गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीसीपीएल) के लिए तीसरी तिमाही कमजोर रही। कारोबार में मंदी के कारण एफएमसीजी क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी के शेयर में नरमी रही और वह 3 फरवरी को अपनी मासिक ऊंचाई तक पहुंचने के बाद करीब 16 फीसदी की गिरावट दर्ज की। हालांकि पिछले तीन कारोबारी सत्रों में कुछ सुधार दिखा है।
भारतीय कारोबार में मात्रात्मक बिक्री के मोर्चे पर कमजोर प्रदर्शन के कारण इस शेयर ने बाजार को निराश किया। कंपनी भारतीय कारोबार से करीब 55 फीसदी राजस्व अर्जित करती है। हालांकि काफी हद तक मूल्य वृद्धि के कारण राजस्व में 8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई7
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा है कि घरेलू वॉल्यूम ग्रोथ सालाना आधार पर स्थिर रहा जबकि दो वर्षीय वार्षिक चक्रवृद्धि दर 3 फीसदी रही और वह इस मोर्चे पर डाबर (10 फीसदी), मैरिको (7 फीसदी), इमामी (6 फीसदी), ब्रिटानिया और कोलगेट (4 फीसदी) से काफी पीछे रही।
जहां तक भारतीय कारोबार का सवाल है तो होम केयर श्रेणी में वृद्धि महज 3.5 फीसदी रही। इसकी मुख्य वजह घरेलू कीटनाशकों के कारोबार में मंदी रही। दक्षिण एवं पूर्वी भारत में कीटनाशक कारोबार को मुख्य तौर पर मौसमी झटका लगा। हालांकि जीसीपीएल ने बाजार हिस्सेदारी में सुधार और नई श्रेणी में उतरने के संकेत दिए हैं। कागज आधारित मच्छर भगाने वाला उत्पाद जंबो फास्ट कार्ड को मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती की कीमत के अनुरूप उतारा गया जिसकी मांग प्रमुख बाजारों में खूब दिख रही है।
जेएम फाइनैंशियल के के विश्लेषक रिचर्ड ल्यू का मानना है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे कंपनी की समग्र वृद्धि को रफ्तार देने के लिए बेहतर करने की आवश्यकता है। बाजार की नजर ग्रामीण बाजारों में विस्तार पर रहेगी जहां इसकी मौजूदगी काफी कम है। पर्सनल केयर श्रेणी की बिक्री में 12 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई जिसे मुख्य तौर पर साबुन कारोबार से बल मिला। इस श्रेणी ने पिछले दो साल के दौरान दो अंकों में वृद्धि दर्ज की है।
इंडोनेशियाई कारोबार में भी सुस्ती बरकरार है जहां स्थिर मुद्रा आधार पर बिक्री में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसे मुख्य तौर पर सैनिटर (स्वच्छता श्रेणी) की कमजोर मांग से झटका लगा जहां कंपनी काफी ध्यान केंद्रित कर रही थी। हालांकि बिक्री में तिमाही दर तिमाही सुधार होने के आसार हैं लेकिन कंपनी का मानना है कि कुछ तिमाहियों में बिक्री स्थिर हो जाएगी। कंपनी की कुल बिक्री में इंडोनेशियाई बाजार का योगदान करीब 14 फीसदी है। अन्य भौगोलिक क्षेत्रों (अफ्रीका, पश्चिम एशिया और अमेरिका) की बिक्री में दो अंकों में वृद्धि दर्ज की गई जबकि इन बाजारों में द्विवार्षिक वृद्धि 14 फीसदी रही।
अधिक इनपुट लागत के कारण मार्जिन पर दबाव होने से सकल मार्जिन 438 आधार अंक घटकर 50.2 फीसदी रह गया। पाम ऑयल की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण घरेलू बाजार को तगड़ा झटका (555 अरण्ररी अंकों का) लगा। हालांकि कंपनी विज्ञापन खर्च में कमी, कर्मचारी लागत में कटौती आदि के कारण परिचालन मुनाफा मार्जिन पर प्रभाव को 210 आधार अंकों तक सीमित करने में सफल रही।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक जयकुमार दोशी ने निकट भविष्य की चुनौतियों को उजागर करते हुए कहा कि पाम ऑयल की लागत में वृद्धि, कच्चे तेल में तेजी और कमजोर मांग के कारण मूल्य वृद्धि की सीमित गुंजाइश सीमित इसकी मुख्य वजह रही।
हालांकि तीसरी तिमाही की सुस्ती के बावजूद अधिकतर ब्रोकरेज का मानना है कि कंपनी अपनी रणनीति को दुरुस्त करेगी और मध्यावधि में दो अंकों में वॉल्यूम ग्रोथ एवं मार्जिन में बढ़त दर्ज करेगी।
