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Green Hydrogen: कंपनियों का हरित हाइड्रोजन पर जोर

भारत में नए हरित हाइड्रोजन क्षेत्र को विकसित करने के लिए अप्रैल 2022 के दौरान तीनों कंपनियों ने एक संयुक्त उद्यम बनाने की योजना की घोषणा की थी।

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अमृता पिल्लई   
Last Updated- August 24, 2023 | 11:11 PM IST

चालू वित्त वर्ष एक ऐसे वर्ष के रूप में सामने आ रहा है, जिसमें देश की कई कंपनियां अपनी हरित हाइड्रोजन महत्त्वाकांक्षाओं को साकार कर रही हैं, भले ही वे प्रायोगिक शुरुआत के रूप में हो। हालांकि उद्योग के अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि मांग और वित्तीय परिणाम के संबंध में ​स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है।

अदाणी एंटरप्राइजेज के शीर्ष अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में विश्लेषकों को इस बात की जानकारी दी थी कि उनकी इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण इकाई पर काम मौजूदा या अगली तिमाही में शुरू होने की संभावना है। ऐसा नहीं है कि अपनी हरित हाइड्रोजन की प्रायोगिक शुरुआत करने वाला यह समूह अकेला है।

एलऐंडटी के पूर्णकालिक निदेशक और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (ऊर्जा) सुब्रमण्यन सरमा के अनुसार अन्य कंपनियों में लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और रीन्यू द्वारा अगले कुछ सप्ताह में संयुक्त उद्यम कंपनी गठित किए जाने की उम्मीद है।

भारत में नए हरित हाइड्रोजन क्षेत्र को विकसित करने के लिए अप्रैल 2022 के दौरान तीनों कंपनियों ने एक संयुक्त उद्यम बनाने की योजना की घोषणा की थी। इस मामले से परिचित एक अन्य अ​धिकारी के अनुसार त्रिपक्षीय संयुक्त उद्यम के लिए अब सभी जरूरी मंजूरी मिल चुकी हैं। संयुक्त उद्यम के गठन की प्रक्रिया चल रही है।

उद्योग के सूत्रों के अनुसार जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्रीज के विशाल परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें नियोजित इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण इकाई भी होगी। सरकारी स्वामित्व वाली गेल (इंडिया) के चेयरमैन संदीप कुमार गुप्ता ने हाल ही में शेयरधारकों को जानकारी दी है कि कंपनी की 10 मेगावॉट वाली हरित हाइड्रोजन उत्पादन इकाई दिसंबर तक चालू किए जाने की उम्मीद है।

विजयपुर (मध्य प्रदेश) में 4.3 टन प्रतिदिन की क्षमता वाली यह इकाई भारत में सबसे बड़ी है। बीडीओ इंडिया के साझेदार और लीडर/सस्टैनेबिलिटी ऐंड ईसीजी दीपंकर घोष ने कहा कि कई भारतीय कंपनियां देश में वाणिज्यिक स्तर वाले हरित हाइड्रोजन संयंत्र चालू करने की प्रक्रिया में हैं।

अधिकांश बड़े स्तर वाली ईंधन विनिर्माण इकाइयों की ही तरह इन्हें भी बाजार की मांग, तकनीकी बाधाओं और नियामकी शर्तों के संयोजन के कारण पूरी क्षमता तक बढ़ने में समय लगेगा। घोष को उम्मीद है कि अधिकांश भारतीय हरित हाइड्रोजन विनिर्माता वर्ष 2030 तक एक से दो डॉलर में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम होंगी।

First Published : August 24, 2023 | 11:05 PM IST