सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को अंतरिम आदेश जारी किया, जिसके जरिए फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्युचुअल फंड के ट्रस्टियों को छह डेट योजनाओं को बंद करने के मामले में यूनिटधारकों से सहमति लेने की इजाजत दे दी। यह इजाजत सेबी (म्युचुअल फंड) नियमन 1996 के तहत दी गई है। अगले आदेश तक इन योजनाओं से निवेश निकासी पर पाबंदी जारी रहेगी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली परिसंपत्ति प्रबंधक की याचिका की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय कर रहा था, जिसमें अदालत ने बाजार नियामक सेबी को इसलिए लताड़ लगाई कि जब यूनिटधारकों ने निवेश निकासी शुरू की तो सेबी किनारे बैठा रहा। नियामक को कर्नाटक उच्च न्यायालय के कोप का भी सामना करना पड़ा था क्योंंकि वह 20 अप्रैल के ट्रस्टियों के पत्र का जवाब भी नहीं दे पाया, जिसमें नियामक से बंद होने वाली योजनाओं पर इजाजत व दिशानिर्देश मांगे गए थे।
अदालत के आदेश के बाद फ्रैंकलिन ने एक नोट में कहा, हमारा मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सही तरीके से योजनाओं की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण व वितरण में मददगार होगा। हम जल्द ही यूनिटधारकों से सहमति मांगने के लिए नोटिस जारी करेंगे। हम अपने निवेशकों व साझेदारों के समर्थन की सराहना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि निवेश की रकम का वितरण जल्द से जल्द होगा।
दो सदस्यीय पीठ इस मामले पर अगले हफ्ते फिर से सुनवाई करेगा। परिसंपत्ति प्रबंधक की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक, छह योजनाओंं को 27 नवंबर तक कुल मिलाकर 11,576 करोड़ रुपये मिले हैं, जो परिपक्वता, पूर्व भुगतान और कूपन भुगतान के जरिए मिले हैं, जिसमें से 2,836 करोड़ रुपये नवंबर में मिले।
27 नवंबर को चार नकदी सकारात्मक योजनाओं के पास उपलब्ध नकदी 7,226 करोड़ रुपये थी। वैयक्तिक तौर पर फ्रैंकलिन इंडिया लो ड््यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्रुअल फंड और फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड के पास उनके एयूएम का क्रमश: 48 फीसदी, 46 फीसदी, 33 फीसदी और 14 फीसदी नकद था।
फ्रैंकलिन के नोट में कहा गया है, कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के बाद हमने पिछले कुछ हफ्तों में यूनिटधारकों की रकम लौटाना शुरू करने के लिए हर विकल्प पर विचार किया। इसमें उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक यूनिटधारकों की सहमति हासिल करना शामिल है। हालांकि विस्तृत चर्चा के बाद हमने तय किया कि यूनिटधारकों के हित में कानून के उचित क्रियान्वयन के लिए सर्वोच्च न्यायालय का न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी होगा।
फ्रैंकलिन एमएफ ने 23 अप्रैल को छह डेट योजनाएं बंद कर दी थी और इसके लिए निवेश निकासी के दबाव व डेट मार्केट में नकदी के अभाव का हवाला दिया था।
मई में ट्रस्टियों ने सेबी म्युचुअल फंड नियमन की धारा 41 (1) के मुताबिक यूनिटधारकों से मतदान चाहा था ताकि ट्रस्टियों को डेट की प्रतिभूतियों को बेचने में सहूलियत हो और यूनिटधारकोंं को रकम लौटाई जा सके। हालांकि यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
