कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के कारण कारोबारी मांग को लेकर लगातार बढ़ रही अनिश्चितताओं के मद्देनजर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियां फ्रीलांसर के जरिये लागत बचाने की कोशिश कर रही हैं। आईटी कंपनियां अपने अनुबंध वाले कर्मचारियों के बदले गिटहब, टॉपकोडर जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत प्रोग्रामरों, डेवलपरों से काम चलाने की संभावनाएं तलाश रही हैं।
बड़ी भारतीय एवं वैश्विक आईटी सेवा कंपनियों के विभिन्न सूत्रों ने बताया कि आईटी सेवा क्षेत्र में क्राउडसोर्सिंग पहले से भी होती रही है लेकिन अब इस पर कहीं अधिक जोर दिया जा रहा है। भारत में कारोबार करने वाली एक वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘स्टाफिंग फर्मों और सबकॉन्ट्रैक्टरों के जरिये इस्तेमाल किए जा रहे 15 से 20 फीसदी कार्यबल को टॉपकोडर, गिटहब और अपवर्क जैसे प्लेटफॉर्म से फ्रीलांसरों के जरिये पहले ही बदले जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यदि मौजूदा परिदृश्य (वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई परिस्थिति) जारी रहा तो कुशल कर्मचारियों की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए क्राउडसोर्सिंग एक मॉडल के तौर पर बेहतर हो सकती है।’
टॉपकोडर विप्रो के स्वामित्व वाला प्लेटफॉर्म है जिसे उसने 2016 में अमेरिकी क्लाउड सेवा कंपनी एपिरियो के अधिग्रहण के जरिये हासिल किया था। इस प्लेटफॉर्म पर फ्रीलांस कार्य के लिए करीब 16 लाख सॉफ्टवेयर डेवलपर, प्रोग्रामर और डेटा साइंटिस्ट मौजूद हैं। माइक्रोसॉफ्ट के स्वामित्व वाली कोड-होस्टिंग साइट गिटहब पर भी कोविड-19 वैश्विक महामारी के शुरुआती दिनों के दौरान एशिया में दैनिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं में वृद्धि दर्ज की गई। वैश्विक स्तर पर इस प्लेटफॉर्म के करीब 5 करोड़ उपयोगकर्ता हैं।
आईटी कंपनियां आमतौर पर अप्रत्याशित मांग को पूरा करने के लिए ठेकेदारों पर निर्भर होती हैं ताकि ऐसे कुशल कर्मचारियों को हासिल किया जा सके जो तत्काल उनके पास उपलब्ध नहीं होते। साथ ही वीजाधारक कर्मचारियों की पर्याप्त उपलब्धता न होने की स्थिति में भी आईटी कंपनियां अनुबंध आधारित कर्मचारियों का सहारा लेती हैं। हालांकि आईटी कंपनियों ऐसे कर्मचारियों के लिए अधिक लागत का वहन करना पड़ता है। यदि कंपनी उन्हें बाहर करना चाहती है तो उसे कुछ महीने पहले नोटिस देना पड़ता है। कमजोर मांग परिदृश्य में नकदी संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हुए आईटी कंपनियां अनुबंध आधारित कर्मचारियों की संख्या घटा रही हैं।
आउटसोर्सिंग सलाहकार एवं पारीख जैन कंसल्टिंग के संस्थापक पारीख जैन ने कहा, ‘आईटी कंपनियां स्वाभाविक तौर पर उपठेकेदारों पर निर्भर होंगी। यह ऐसे समय का उपाय था जब मांग अधिक और आपूर्ति (कुशल कर्मचारियों की) कम थी। लेकिन अब स्थिति बदल गई है और कंपनियां पहले अपने उपठेकेदारों को और फिर नियमित कर्मचारियों को जाने देंगी।’ उन्होंने कहा, ‘फ्रीलांस कर्मचारियों पर इसलिए जोर दिया जा रहा है क्योंकि उनके लिए रोजगार की शर्तें काफी कम होती हैं। साथ ही अनिश्चितताओं के समय में उनके लिए कोई दीर्घकालिक प्रतिबद्धता भी नहीं होती है। हालांकि लंबी अवधि के लिहाज से यह चलन सेवा प्रदाताओं के हितों के लिए उपयुक्त नहीं रहेगा क्योंकि कर्मचारियों को इन-आउस प्रशिक्षित करने का मूल्य कहीं अधिक मायने रखता है।’
पिछले कुछ वर्षों के दौरान अनुबंध आधारित कर्मचारियों की लागत आईटी कंपनियों के एक महत्त्वपूर्ण खर्च के तौर पर उभरी है। टियर-1 कंपनियों में कुल खर्च के मुकाबले अनुबंध आधारित कर्मचारियों की लागत 2019-20 में सबसे अधिक विप्रो में 21 फीसदी और उसके बाद टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) में 10.8 फीसदी है। जबकि इन्फोसिस के मामले में यह आंकड़ा 9.4 फीसदी रहा।