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चीन और वियतनाम के समान हो PE टैक्स नियम, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की सरकार से मांग

ICEA के अनुसार, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन $135 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जिसमें से $64 अरब डॉलर सिर्फ स्मार्टफोन उत्पादन का है

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- October 15, 2025 | 10:16 AM IST

इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर ने सरकार से स्थायी प्रतिष्ठान (Permanent Establishment – PE) नियमों की समीक्षा करने का अनुरोध किया है, ताकि भारत की टैक्स प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार हो और देश चीन और वियतनाम जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके।

भारतीय सेल्युलर और इलेक्ट्रॉनिक्स संघ (ICEA) ने यह बताया है कि चीन और वियतनाम ने पिछले दशक में किस तरह से अपने PE नियमों को इस तरह से बनाया है कि विदेशी कंपनियों की मौजूदगी टैक्स योग्य मानी जाए, लेकिन साथ ही वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी टिके रहें। ICEA में ऐपल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, ओप्पो और डिक्सन जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। इस संगठन ने वित्त मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, और नीति आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की है।

सूत्रों के अनुसार, सरकार पहले से ही इस मुद्दे पर विचार कर रही है। हाल ही में नीति आयोग ने “विदेशी निवेशकों के लिए भारत में स्थायी प्रतिष्ठान और लाभ आवंटन में निश्चितता, पारदर्शिता और एकरूपता बढ़ाना” नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।

ICEA के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा, “असल में, अब इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन उत्पादन व रोजगार में ग्रोथ निर्यात पर आधारित है। हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि नियमों को इस तरह से संरचित किया जाए कि टैक्स का निर्यात न हो और हमारी कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें।”

$135 अरब डॉलर पहुंचा इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन

ICEA के अनुसार, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन $135 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जिसमें से $64 अरब डॉलर सिर्फ स्मार्टफोन उत्पादन का है। पिछले दस वर्षों में स्मार्टफोन उत्पादन में 20 गुना बबढ़ोतरी हुई है। FY25 में स्मार्टफोन निर्यात $24 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह अब भारत का शीर्ष निर्यात बन चुका है, जबकि FY15 में यह 167वें स्थान पर था।

मोहिंद्रू ने कहा, “इस समीक्षा के जरिए हम तीन मुख्य लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं। वैश्विक स्तर पर उत्पादन और निर्यात, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और संचालन की दक्षता, और भारतीय आपूर्तिकर्ताओं की लागत को कम करना।”

हर साल $180-200 अरब डॉलर के निर्यात की जरूरत

2031 तक सरकार के $500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन लक्ष्य में सहयोग देने के लिए भारत को हर साल $180-200 अरब डॉलर के निर्यात की जरूरत है। ICEA के अनुसार, इस लक्ष्य का 40-50% हिस्सा स्मार्टफोन निर्यात से आएगा। इसके लिए उद्योग ने आयकर अधिनियम की धारा 9 की समीक्षा और PE नियमों के नए सिरे से बनाने की मांग की है, ताकि कंपनियां “जस्ट-इन-टाइम प्रोक्योरमेंट” (समय पर सामग्री प्राप्त करना) मॉडल को अपनाकर दक्षता बढ़ा सकें। इससे विदेशी विक्रेता भारत में संयंत्रों के पास माल भंडारण रख सकेंगे और हर बार अलग-अलग पुर्जों की शिपिंग की जरूरत नहीं होगी।

ICEA ने यह भी सुझाव दिया है कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को उच्च मूल्य वाले और स्पेशलाइज्ड कैपिटल इ​क्विपमेंट मुफ्त में उपलब्ध करा सकती हैं। यह दुनियाभर में एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया है। इस व्यवस्था में विदेशी कंपनियां मशीनरी की पैसिव ओनर​शिप रख सकती हैं और भारत में विक्रेताओं की लागत तथा विदेशी मुद्रा व्यय को कम कर सकती हैं। इसके लिए भी PE नियमों की समीक्षा आवश्यक होगी।

First Published : October 15, 2025 | 10:16 AM IST