जालंधर के लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से मुंबई की डन ऐंड ब्रैडस्ट्रीट (डीऐंडबी) ने ‘डीऐंडबी-एसबीआई एसएमई क्लस्टर सीरीज 2009-जालंधर’ का प्रकाशन शुरू किया है।
इस शहर के छोटे उद्योग खेल सामानों, चमड़ा और रबड़ सामानों के लिए प्रख्यात हैं। जालंधर क्लस्टर के लिए समर्पित यह अध्ययन भारतीय स्टेट बैंक के सहयोग से डीऐंडबी द्वारा जारी की गई क्लस्टर अध्ययनों की शृंखला में चौथा अध्ययन है।
कंपनी के निदेशक मोहन रामासामी ने बताया कि इस श्रृंखला में जिन अन्य क्लस्टरों को शामिल किया गया, वे चेन्नई, नागपुर और वड़ोदरा हैं। उन्होंने बताया कि ‘डीऐंडबी-एसबीआई एसएमई क्लस्टर सीरीज 2009-जालंधर’ उन एसएमई पर ध्यान केंद्रित करती है जिनकी निर्माण इकाइयां जालंधर और इसके आसपास के इलाकों में स्थित हैं।
इस सीरीज के दायरे में इकाइयों की संख्या और रोजगार के संदर्भ में तीन प्रमुख क्षेत्रों – खेल सामान, रबड़ सामान और चमड़ा सामान- को लाया गया है। इसके अलावा इसमें इन क्षेत्रों के तकनीकी पहलुओं, मुद्दों, चुनौतियों और विकास संभावनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इस सीरीज में जालंधर के एसएमई की रणनीतियों के अलावा मौजूदा और आगामी प्रौद्योगिकी परिदृश्य पर भी चर्चा की गई है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने इस शहर में एक सर्वे किया और इसमें भाग लेने वाले एसएमई ने उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाने में प्रौद्योगिकी के महत्व को स्वीकार किया है। हालांकि अध्ययन में यह भी निष्कर्ष सामने आया है कि प्रौद्योगिकी खर्च और बिजली की अव्यवस्था एसएमई के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने के रास्ते में प्रमुख बाधाएं हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हमारे अध्ययन में यह भी पाया गया है कि क्लस्टर में तीनों क्षेत्रों की कंपनियों में मौजूदा नई प्रौद्योगिकी की जानकारी काफी कम है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक मंदी के बावजूद सर्वे में शामिल एसएमई अगले दो साल में अपने विकास को लेकर आशान्वित हैं। सर्वे में तीनों क्षेत्रों के जिन एसएमई ने भाग लिया, उन्होंने 11 से 20 फीसदी की रेंज में विकास की संभावना जताई है।
