शीरे की कीमत में आ रहा उबाल शराब पीने वालों के जाम का नशा शायद कुछ कम कर सकता है।
देश की तमाम शराब निर्माता कंपनियां इस महंगाई का बोझ कम करने के लिए अपने उत्पादों की कीमत भी बढ़ाने जा रही हैं। देश की दूसरी सबसे बड़ी शराब निर्माता कंपनी रेडिको खेतान के प्रबंध निदेशक अभिषेक खेतान ने कहा, ‘शीरे के उत्पादन में तकरीबन 20 फीसद की कमी आई है। इस वजह से एल्कोहल की कीमत में इजाफा हो सकता है। शराब पर इसका असर पड़ेगा।’
अखिल भारतीय मदिरा निर्माता संघ के महासचिव वी एन रैना ने कहा कि आने वाले महीनों में शराब के दाम 15 से 20 फीसद बढ़ने वाले हैं। विजय माल्या का यूबी समूह शराब बनाने के मामले में देश में पहले नंबर पर है। लेकिन कीमतों का डंक उसे भी चुभने लगा है।
हालांकि कंपनी ने शीरे की आपूर्ति के लिए लंबे अरसे के करार किए हैं, फिर भी उसे फर्क पड़ सकता है। यूबी समूह के स्पिरिट विभाग के अध्यक्ष और मैक्डॉवेल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विजय रेखी ने कहा, ‘सरकार को शीरे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या फिर उसके शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देनी चाहिए।’
रैना ने बताया कि संघ से जुड़े संगठनों ने महराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में इसके लिए लामबंदी शुरू भी कर दी है। इन राज्यों में शराब के दाम सरकार तय करती है। बाकी राज्यों में कंपनियां खुद ही कीमत तय करने का काम कर सकती हैं। शीरे की कीमत में पिछले 6 महीने में तकरीबन 100 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
नवंबर 2007 में इसका दाम 190 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब 375 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। गन्ने की पिछली फसल में शीरे का उत्पादन कम रहा था, इसलिए दाम उछल गए। इनके दामों में अभी और बढ़ोतरी के कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि गन्ने की बुवाई कम होने जा रही है।
दिलचस्प है कि शीरे का उत्पादन कम होगा और वाहन कंपनियां उसे खरीदने के मामले में शराब कंपनियों को कड़ी टक्कर भी देंगी। दरअसल पिछले साल लगभग 25 लाख टन शीरे से एथेनॉल बनाकर ईंधन में इस्तेमाल किया गया। इस साल यह आंकड़ा दोगुना होने के पूरे आसार हैं यानी शराब के शौकीनों का बजट और लड़खड़ा सकता है।
…नशा होगा हिरन
शीरे की कीमत में पिछले 6 महीने में र्हुई100 फीसदी बढ़ोतरी
शीरे के घटते उत्पादन के चलते शराब का उत्पादन हुआ कम
15 से 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं दाम
यूबी समूह भी आया महंगाई की चपेट में