संकट से निपटने में जुटीं देसी फर्में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:06 PM IST

यूरोप में कारोबार करने वाली भारतीय कंपनियों के शेयरों में आज गिरावट रही। रूस-यूक्रेन मामले में हालात और बिगडऩे तथा अमेरिका एवं सहयोगी देशों के रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने से इन कंपनियों की बिक्री को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
हालांकि रिलायंस, टाटा और बिड़ला जैसी बड़ी कंपनियों ने कहा कि उनका रूस में बहुत ज्यादा कारोबार नहीं है। लेकिन तेल एवं गैस, दवा और चाय कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि हालात पर उनकी कड़ी नजर है क्योंकि उन्हें इस क्षेत्र से अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन से अलग हुए दो क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने के बाद सेना को उन क्षेत्रों में प्रवेश करने का आदेश दिया। इसकी कड़ी प्रतिक्रिया हुई है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने मंगलवार को कहा कि ‘यूक्रेन पर हमला शुरू हो चुका है।’ अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अभी मौजूदा घटनाक्रम के लिए ‘हमला’ शब्द इस्तेमाल नहीं किया है। लेकिन इस बात के प्रबल आसार हैं कि अमेरिका यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्र पर प्रतिबंधों का आदेश देने जा रहा है। यूरोपीय संघ ने रूस के खिलाफ अतिरिक्त कदम उठाने का प्रण लिया है, जबकि भारत और चीन ने सभी पक्षों से संयम बरतने को कहा है।
जगुआर लैंड रोवर की मूल कंपनी टाटा मोटर्स का शेयर 3.28 फीसदी लुढ़क गया। निवेशक इस बात से चिंतित हैं कि टकराव से जेएलआर की यूरोप में बिक्री प्रभावित होगी। प्रमुख दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज का शेयर 2 फीसदी गिर गया, जबकि यूरोपीय कंपनियों को वाहनों के कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली मदरसन सूमी का शेयर सपाट रहा। आज बीएसई सेंसेक्स बिना किसी घटत-बढ़त के बंद हुआ, लेकिन सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज का शेयर मामूली गिरकर बंद हुआ। तेल एवं गैस क्षेत्र के अधिकारियों ने कहा कि यूक्रेन संकट का भारत पर कोई तात्कालिक असर पडऩे के आसार नहीं हैं। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी चिंता का विषय है क्योंकि इससे आयात बिल बढ़ जाएगा। ब्रेंट क्रूड की कीमत मंगलवार को 99.17 डॉलर प्रति बैरल यानी 100 डॉलर के आंकड़े के आसपासे थी।
एचपीसीएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एम के सुराणा ने चेताया कि अगर यूक्रेन में हालात बिगड़े तो आपूर्ति शृंखला बाधित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘तीन कारणों का कच्चे तेल की कीमतों पर असर पड़ रहा है। इनमें से एक रूस-यूक्रेन संकट है। दूसरा ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत पर विरोधाभासी दृष्टिकोण बाहर आ रहा है। तीसरा ओपेक जरूरत के मुताबिक उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं कर पा रहा है, इसलिए 9 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी है।’
सूत्रों ने कहा कि अगर प्रतिबंध लगाए गए तो इन दो बातचीत की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है। इस समय गेल का गैजप्रोम के साथ एलएनजी का लंबी अवधि का समझौता है, जिसमें वह हर साल करीब 25 लाख टन एलएनजी आयात करती है। ओवीएल, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), ऑयल इंडिया (ओआईएल) और भारत पेट्रोरिसोर्सेज (बीपीआरएल) समेत भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों के अधिकारी रूस की तेल एवं गैस परियोजनाओं में करीब 13.63 अरब डॉलर के अपने निवेश को लेकर चिंतित हैं। इसमें से 4.4 अरब डॉलर रूस की दो परिसंपत्तियों- वानकोर और तास यूरयाख पर खर्च किए गए हैं। एक शीर्ष पीएसयू के अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘इस समय ओवीएल और अन्य कंपनियों पर कोई असर नहीं है। हालात बिगडऩे और अमेरिका एवं यूरोपीय संघ के प्रतिबंध लगाने पर ही दिक्कतें पैदा होंगी।’ रूस की दिग्गज कंपनी रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी की गुजरात के वाडिनार में स्थित रिफाइनरी की कच्चे तेल की खरीद पर भी कोई असर नहीं पडऩे के आसार हैं क्योंकि यह तेल की खरीद पश्चिम एशिया से करती है। भारत के कच्चे तेल के आयात में रूस की हिस्सेदारी करीब 1 फीसदी है, जबकि देश करीब 63.4 फीसदी तेल के लिए पश्चिम एशिया पर निर्भर है। नायरा के एक अधिकारी ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। दवा उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि निर्यात के लिए रूस एक प्रमुख बाजार है, जो अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन के बाद चौथे स्थान पर है, इसलिए निर्यात में कोई अवरोध पैदा होना चिंता की बात है। दवा निर्यात संवर्धन परिषद के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2021 में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान भारत के दवा निर्यात में रूस की हिस्सेदारी 2.41 फीसदी रही। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2021 में भारत के दवा निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 31.57 फीसदी रहा। भारत की कंपनियों ने वर्ष 2020-21 में रूस को 59.1 करोड़ डॉलर की दवाइयों का निर्यात किया, जबकि अमेरिका को निर्यात 772.35 करोड़ डॉलर रहा।
सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज की रूस के बाजार में अहम मौजूदगी है। सन फार्मास्यूटिकल के एक प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी रूस और यूक्रेन के हालात पर नजर बनाए हुए है और सब कुछ अच्छा रहने की उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा, ‘हम दोनों देशों में अपने कर्मचारियों के संपर्क में हैं और वे सुरक्षित हैं।’डीआरएल के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी की इस क्षेत्र में तीन दशक से अधिक समय से मजबूत मौजूदगी है। अधिकारी ने कहा, ‘हम शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद करते हैं। अगर हालात बिगड़ते हैं तो हमारे कर्मचारियों की सलामती, मरीजों की जरूरतें पूरी करना और कारोबार को जारी रखना हमारी मुख्य प्राथमिकता होंगी। हम घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए हैं और उसके मुताबिक ही तैयारी कर रहे हैं।’

First Published : February 22, 2022 | 11:09 PM IST