देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ लि. ने 5,000 करोड़ रुपये उगाहने की योजना के तहत बॉन्डों की बिक्री से 700 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। ये बॉन्ड भारतीय जीवन बीमा निगम को बेचे गए।
बीते 24 फरवरी को भी डीएलएफ ने 5 साल में परिपक्व होने वाले अपरिवर्तनीय डिबेंचर बेचकर धन जुटाया था। इन डिबेंचरों पर 14 फीसदी के ब्याज दर की पेशकश की गई थी। हालांकि इस मुद्दे पर किसी भी अधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
गौरतलब है कि डीएलएफ ने निवेशकों को बॉन्ड बेचकर 5,000 करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी। इस इश्यू को ‘एए स्थायी’ की रेटिंग दी गई। वैसे बिक्री में हुई कमी के चलते जनवरी में डीएलएफ की रेटिंग ‘ए प्लस’ से घटाकर ‘ए निगेटिव’ कर दी गई थी।
तीसरी तिमाही के परिणाम घोषित करते वक्त कंपनी ने माना था कि उसने कई परियोजनाओं को एक तिमाही के लिए टाल दिया है।
रेटिंग कंपनी क्रिसिल के मुताबिक, बिक्री में हो रही कमी का बुरा प्रभाव डीएलएफ की धन जुटाने की कोशिशों पर पड़ेगा। डीएलएफ को जून 2009 तक 4,300 करोड़ रुपये का ऋण चुकता करना है। उसने पहले ही अपने आधे से ज्यादा कर्ज को दुबारा फाइनैंस करा लिया है।
कंपनी अपने सभी कर्जों को दुबारा फाइनैंस कराने के लिए लगातार दबाव डाल रही है। कंपनी सूत्रों के मुताबिक, डीएलएफ ने 2,000 करोड़ रुपये 12-13 फीसदी की ब्याज दर से हासिल भी कर लिया है।
अधिकारी ने बताया कि कंपनी अगले दो साल तक कर्ज चुकाना नहीं चाहती। शेष 2,300 करोड़ रुपये की राशि जुटाने के लिए कंपनी बॉन्ड और हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।