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रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की कार्यकारी चेयरपर्सन के खिलाफ जांच की मांग

इनगवर्न ने की बीमा नियामक और बाजार नियामक की तरफ से जांच किए जाने की मांग

Published by
देव चटर्जी   
Last Updated- November 15, 2023 | 10:34 PM IST

प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की कार्यकारी चेयरपर्सन को कंपनी की सहायक केयर हेल्थ इंश्योरेंस में एम्पलॉयी स्टॉक ऑप्शंस (ईसॉप्स) दिए जाने के मामले में बीमा नियामक आईआरडीएआई और बाजार नियामक सेबी की तरफ से जांच की मांग की है। इनगवर्न ने सलूजा के पारिश्रमिक और हितों के टकराव को लेकर जांच की मांग की है।

एक बयान में इनगवर्न ने कहा कि रेलिगेयर की सहायक केयर हेल्थ इंश्योरेंस ने आईआरडीएआई की तरफ से आवेदन खारिज किए जाने के बावजूद सलूजा को ईसॉप्स जारी किया।

प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म ने कहा कि रेगिलेयर एंटरप्राइजेज के शेयरधारकों की मंजूरी सलूजा को केयर ईसॉप्स दिए जाने के मामले में नहीं ली गई और न ही रेलिगेयर की सालाना रिपोर्ट में केयर ईसॉप्स का खुलासा किया गया।

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज व उसकी सहायक कंपनियों को पटरी पर लाने का श्रेय सलूजा को दिया जाता है। उन्होंने इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन रेलिगेयरके सूत्र ने कहा कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस के ईसॉप्स को केयर हेल्थ के बोर्ड ने मंजूरी दी, जब कंपनी की नामांकन व पारिश्रमिक समिति ने इसकी सिफारिश की। सूत्रों ने कहा कि सलूजा को ईसॉप्स दिए जाने के मामले में सभी नियमों व प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

सलूजा को दिए गए पारिश्रमिक में ईसॉप्स को बेचने के समय की प्रतिपूर्ति कीमत शामिल है, न कि बिना बिके ईसॉप्स की कीमत क्योंकि इससे अर्जित होने वाला लाभ ईसॉप्स की बिक्री के समय ही दिखेगा।

सलूजा को ईसॉप्स आरईएल की कर्मचारी/कार्यकारी निदेशक और चेयरपर्सन होने के नाते दिए गए। उन्हें केयर हेल्थ इंश्योरेंस की गैर-कार्यकारी चेयरपर्सन होने के नाते ईसॉप्स नहीं दिए गए। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

आईआरडीएआई के दिशानिदेश 2016 में सलूजा को दिए गए विशिष्ट ईसॉप्स के लिए किसी तरह की मंजूरी की अनिवार्यता नहीं है क्योंकि बोर्ड के चेयरमैन का पारिश्रमिक कै फैसला निदेशक मंडल कर सकता है।

सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि ऐसे में केयर हेल्थ सलूजा को ईसॉप्स देने के मामले में नया प्रस्ताव पारित कर सकती है और वह भी आईआरडीएआई की मंजूरी के बिना।

इसके मुताबिक नामांकन व पारिश्रमिक समिति के विचार के बाद प्रस्ताव आम सहमति से केयर के बोर्ड ने पारित किया, जिसमें केदार कैपिटल शामिल है, जिनका केयर में 567.3 करोड़ रुपये का खासा निवेश है।

इनगवर्न ने कहा, फरवरी 2020 में रेलिगेयर की कार्यकारी चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने के बाद उसे आरईएल का 1.05 करोड़ ऑप्शंस पारिश्रमिक के हिस्से के तौर पर दिया गया, जिसकी कीमत आज करीब 230 करोड़ रुपये है।

सलूजा को ईसॉप्स की दूसरी खेप केयर हेल्थ इंश्योरेंस (आरईएल की असूचीबद्ध सहायक) ने जनवरी 2020 में दी, जिसकी कीमत 250 करोड़ रुपये है। इनगवर्न ने यह नहीं बताया कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस के मूल्यांकन पर वह
कैसे पहुंची।

सलूजा केयर हेल्थ इंश्योरेंस की गैर-कार्यकारी चेयरपर्सन है, जो भारत में दूसरे नंबर की स्वास्थ्य बीमा कंपनी है। प्राइवेट इक्विटी फर्म केदार कैपिटल के पास इस कंपनी की 17 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं यूनियन बैंक के पास 15 फीसदी और बाकी हिस्सेदारी होल्डिंग कंपनी रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के पास है।

रे​लिगेयर एंटप्राइजेज को अधिग्रहण को लेकर अभी डाबर समूह की बर्मन फैमिली और सलूजा की अगुआई वाले प्रबंधन के बीच संघर्ष चल रहा है, जिसने 235 रुपये प्रति शेयर पर ओपन ऑफर का यह कहते हुए विरोध किया है कि इसमें कंपनी का मूल्यांकन कम किया गया है। बर्मन फैमिली की सूचीबद्ध इकाई डाबर इंडिया इस ओपन ऑफर में शामिल नहीं है।

सलूजा के खिलाफ आरोप मुंबई पुलिस की तरफ से मोहित बर्मन व गौरव बर्मन के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के कुछ ही दिन बाद देखने को मिला जिसमें उन पर क्रिकेट पर सट्टा लगाने वाले सिंडिकेट व महादेव ऐप के साथ कथित गठजोड़ की बात कही गई है।

बर्मन ने यह कहते हुए सभी आरोपों से इनकार किया है कि इसके पीछे निहित स्वार्थ है, जो रेलिगेयर के लिए उनकी फैमिली ऑफिस के ओपन ऑफर को पटरी से उतारना चाहते हैं।

First Published : November 15, 2023 | 10:34 PM IST