मद्रास उच्च न्यायालय ने सीरम इंस्टीट्यूट के कोविशील्ड टीके को असुरक्षित घोषित करने के अनुरोध को लेकर दाखिल की गई चेन्नई के कारोबारी सलाहकार की समादेश याचिका पर गुरुवार को केंद्र को नोटिस जारी किया। यह कारोबारी वॉलंटियर के रूप में टीके के परीक्षण में शामिल हुआ था।
वादी आसिफ रियाज परिवार के वकीलों में से एक आर राजाराम ने इस बात की पुष्टि की है कि न्यायमूर्ति अब्दुल कुदूस ने केंद्र को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। याचिका में जिन प्रतिवादियों का नाम है, वे हैं -भारत सरकार (स्वास्थ्य सचिव के माध्यम से), भारतीय औषधि महानियंत्रक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक, सीरम के मुख्य कार्याधिकारी, एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्याधिकारी और आचार समिति के चेयरमैन।
वादी पिछले साल सीरम इंस्टीट्यूट के ऑक्सफर्ड/ एस्ट्राजेनेका टीके के क्लीनिकल परीक्षण के वॉलंटियरों में से एक था। वादी ने आरोप लगाया है कि वह दुष्प्रभावों से पीडि़त हुआ है और इसलिए उसे पांच करोड़ रुपये या न्यायालय द्वारा तय की जाने वाली राशि का हर्जाना दिया जाना चाहिए। नवंबर 2020 में वादी ने पांच करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग करते हुए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीरम) को कानूनी नोटिस भेजा था तथा सरकार और आईसीएमआर को वैक्सीन के निर्माण और वितरण के लिए कोई मंजूरी नहीं देने को कहा था।
सीरम द्वारा निर्मित टीका लेने के उपरांत कथित रूप से उसके स्वास्थ्य की स्थिति प्रभावित होने के बाद उसने नोटिस भेजा था। इसके जवाब में सीरम ने वादी के खिलाफ 100 करोड़ रुपये के मानहानि दावे के साथ एक नोटिस भेजा। अब वादी ने एक याचिका दायर की है, जिसकी प्रति बिज़नेस स्टैंडर्ड के पास है। इसमें उसने मद्रास उच्च न्यायालय से यह घोषणा करने की मांग की है कि गंभीर दुष्प्रभाव और 11 अक्टूबर से 26 अक्टूबर के बीच याची का अस्पताल में भर्ती होना एक ‘गंभीर प्रतिकूल घटना’ थी और यह सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित परीक्षण वाला टीका कोविशील्ड दिए जाने से हुआ था जिसने याची को 1 अक्टूबर, 2020 को वॉलंटियर के रूप में लिया था और इसकी आगे की कार्यवाही के तौर पर यह घोषणा की जाए कि कोविशील्ड टीका सुरक्षित नहीं है तथा इसके परिणामस्वरूप सीरम को हर्जाने और क्षति के एवज में पांच करोड़ रुपये या जो राशि अदालत द्वारा निर्धारित की जाए, उसका भुगतान याची को किए जाने का निर्देश दिया जाए। याचिका में आरोप लगाया है कि कोविशील्ड टीका सुरक्षित नहीं है और यह टीका लेने वाले लोगों पर गंभीर प्रतिकूल असर पैदा कर सकता है। परीक्षण का टीका लेने के बाद उसे पैदा हुई एक के बाद एक गंभीर प्रतिकूल प्रतिक्रिया से प्रथम दृष्टि में यह साबित होता है कि टीका सुरक्षित नहीं है और यह गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।
सीरम इंस्टीट्यूट की कानूनी टीम ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप निराधार हैं। कंपनी मद्रास उच्च न्यायालय में इन आरोपों का समुचित ढंग से जवाब देगी।