ईंधन की मार से धीमी हुई, कार रेंटिंग की रफ्तार

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 7:02 AM IST

भारत में कार रेंटिंग, जिसमें शॉफर ड्राइविंग, सेल्फ ड्राइविंग, कार लीज और रेडियो टैक्सी का सालाना 9 हजार करोड़ रुपये का कारोबार है, की रफ्तार हाल ही में ईंधन की बढ़ती कीमतों से कम हो रही है।


फिलहाल कंपनियों ने इसका कुछ बोझ अपने ग्राहकों पर डालने का फैसला किया है। कार रेंटिंग कंपनी एविस के मुख्य कार्यकारी रवि लांबा का कहना है, ‘ईंधन की कीमतों में लगभग 10 प्रतिशत हुए इस इजाफे को ग्राहकों को ही संभालना होगा। हमारे पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है।’

उद्योग जगत के सूत्र फिलहाल यह तो नहीं बता पा रहे कि इस इजाफे का उनके कारोबार पर कितना असर पड़ने वाला है, लेकिन उनका इतना मानना है कि लागत में कीमतों के बढ ज़ाने के कारण उन्हें अपनी रणनीतियों में फेर-बदल करने होंगे।

हट्र्ज इंडिया के सीईओ रवि विज का कहना है, ‘शॉफर ड्राइव, रेडियो टैक्सी या फिर लीज कार के कारोबार पर इसका बहुत कम असर पड़ेगा, लेकिन सेल्फ ड्राइव कार सेगमेंट पर इसका भारी असर होगा, क्योंकि अब ग्राहक खुद ईंधन भरवाने के लिए ईंधन में बचत करने वाली कारों की तरफ बढ़ेंगे।  इसके लिए ग्राहक आमतौर पर हुंडई और मारुति के बारे में सोचेंगे। फिलहाल तो नहीं, लेकिन हम भी अपनी कारों के बेड़े में ऐसी कारों को शामिल करने पर विचार कर रहे हैं।’

रवि विज से पूछे जाने पर कि ईंधनों की कीमत बढ़ने से कॉर्पोरेट कार लीज के कारोबार पर कितना असर पड़ेगा, उन्होंने कहा, ‘कॉर्पोरेट्स अब अपनी परियोजनाओं पर समीक्षा कर रहे हैं। हो सकता है कि इनमें से कई कॉर्पोरेट अपने बजट को संभालने के लिए छोटी कारों की ओर बढ़ें।’ गौरतलब है कि फिलहाल कार रेंटिंग के कुल कारोबार का सिर्फ 10 फीसदी ही कारोबार व्यवस्थित ढांचा प्रणाली पर काम करता है, लेकिन सालाना 20 प्रतिशत की विकास दर के साथ उद्योग जगत का मानना है कि अगले पांच वर्षों में यह अनुपात 50:50 का होगा।

कार रेंटिंग कंपनियों ने बेशक इस नुकासन को ग्राहकों की ओर धकेल दिया हो, लेकिन प्रतिस्पर्धा के दौर में स्थानीय कंपनियों के पास नुकसान उठाने के अलावा दूसरा कोई हल नहीं है। दिल्ली की एक कंपनी सफर इंडिया ट्रैवल के मालिक सिमरजीत सिंह चुग का कहना है, ‘इससे हमारे कारोबार पर कोई खास अंतर नहीं पड़ेगा, लेकिन हां हमारा मुनाफा कम हो गया है। बाहर के टूर पर जाने वाली गाड़ियों के लिए अब हम प्रति किलोमीटर 50 पैसे ही अतिरिक्त चार्ज कर रहे हैं।

बाजार में बने रहने के लिए किराए की कम कीमतों को बनाए रखना काफी जरूरी है।’ उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा अब हमें कार खरीदने से पहले भी काफी सोचना होगा, क्योंकि अब हमारा मुनाफा घट गया है।’ कार रेटिंग का एक और बड़ा हिस्सा है रेडियो टैक्सी है और सरकार की ओर से ईंधनों की कीमतें बढ़ाने पर रेडियो टैक्सी के कारोबार पर भी असर दिखाई दे रहा है।

मुंबई की रेडियो टैक्सी कंपनी मेरू कैब्स के उपाध्यक्ष प्रतीक रोंगटा का कहना है, ‘रेडियो टैक्सी के किराए सरकार तय करती है, इसलिए पेट्रोल, डीजल के महंगा होने पर हम अपने किरायों में फेर-बदल नहीं कर सकते। हमारी कंपनी को ईंधन से लगभग 20 प्रतिशत राजस्व मिलता है और फिलहाल ईंधनों की बढ़ी कीमतों का बोझ हम ही उठा रहे हैं।’ गौरतलब है कि सरकार के इस फैसले के बाद रेडियो टैक्सी के कारोबार को 2 से 3 फीसदी का नुकसान झेलना पड़ेगा।

First Published : June 23, 2008 | 2:14 AM IST