हादसे के बाद घटनास्थल का दृश्य | फोटो: PTI
बोइंग विमान हादसे के बाद पश्चिमी देशों के विमान नियामकों ने कहा कि उन्हें बोइंग के विमानों में किसी तरह की तकनीकी चिंता नहीं है। दूसरी ओर भारत सहित सिंगापुर और अन्य एशियाई देशों ने इस हादसे की गंभीरता को समझते हुए बोइंग विमानों की जांच के निर्देश दिए हैं।
ब्रिटेन के विमान नियामक यूके सिविल एविएशन अथॉरिटी (सीएए) ने आज बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उसे बोइंग विमानों या उनके फ्यूल कंट्रोल स्विचों को लेकर कोई तकनीकी चिंता नहीं है। इससे पहले बीते शनिवार को अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने भी कहा था कि इस मुद्दे पर किसी भी नियामकीय कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।
सीएए और एफएए का यह रुख भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और दक्षिण कोरियाई सरकार द्वारा अपनाए गए अधिक सतर्क दृष्टिकोण के विपरीत है। एयर इंडिया एआई171 हादसे पर भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा 12 जुलाई को जारी प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद डीजीसीए और दक्षिण कोरियाई सरकार ने बोइंग विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विचों की जांच करना अनिवार्य कर दिया है।
ब्रिटेन के सीएए ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को भेजे जवाब में कहा, ‘एयर इंडिया दुर्घटना की जांच जारी है लेकिन हमें बोइंग उत्पादों के संबंध में कोई तकनीकी चिंता नहीं है। ब्रिटेन की विमान कंपनियों को भी कोई अतिरिक्त कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है।’
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ब्रिटेन का सीएए एयर इंडिया 171 दुर्घटना की जांच में शामिल रहा है क्योंकि पिछले महीने 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने के महज कुछ सेकंड बाद ही एयर इंडिया बोइंग 787 के दुर्घटनाग्रस्त होने से मरने वाले 241 यात्रियों में 53 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे। अन्य पीड़ितों में 169 भारतीय नागरिक, 7 पुर्तगाली नागरिक और एक कनाडाई नागरिक शामिल थे।
12 जुलाई को एफएए ने एक ‘कंटीन्यूड एयरवर्दीनेस नोटिफिकेशन’ जारी किया जिसमें कहा गया कि बोइंग के सभी विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच लॉकिंग प्रणाली एक ही जैसी है लेकिन एजेंसी इसे ऐसी असुरक्षित स्थिति नहीं मानती है जिसके लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए। बोइंग ने भी विमान कंपनियों को यह सूचित किया है कि वह फिलहाल किसी भी कार्रवाई की सिफारिश नहीं कर रहा है।
हालांकि भारत के डीजीसीए ने सोमवार को एक निर्देश जारी किया जिसमें सभी घरेलू विमान कंपनियों को 21 जुलाई तक बोइंग 737 और 787 विमानों की फ्यूल कंट्रोल स्विच की लॉकिंग प्रणाली की जांच करने की बात कही गई है। विमान कंपनियों को इसकी जांच कर नियामक को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। इस निर्देश में बोइंग 777 विमानों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि उनमें अलग तरह का फ्यूल स्विच लगा है।
डीजीसीए ने कहा कि यह आदेश हनीवेल द्वारा निर्मित स्विचों पर लागू होता है और उसने 2018 के एफएए की उस एडवाइजरी का हवाला दिया जिसमें लॉकिंग फीचर के संभावित रूप से सिस्टम से अलगाव की चिंता जताई गई थी। हालांकि यह एडवाइजरी अनिवार्य नहीं थी लेकिन इसमें बोइंग के कई विमानों की जांच करने की सिफारिश की गई थी।
डीजीसीए का यह कदम भारत के एएआईबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद आया है, जिसमें पाया गया कि एयर इंडिया की उड़ान एआई171 में दोनों फ्यूल कंट्रोल स्विच उड़ान के कुछ सेकंड बाद ही बंद हो गए थे जिससे दोनों इंजन फेल हो गए। दक्षिण कोरिया के परिवहन मंत्रालय ने भी कहा है कि वह 2018 की एफएए की एडवाइजरी का पालन करेगा और जांच शुरू करेगा लेकिन उसने कोई समयसीमा नहीं बताई है।
इस बीच कुछ अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनियों ने स्वेच्छा से एहतियाती कदम उठाए हैं। क्रैश रिपोर्ट जारी होने के बाद एतिहाद एयरवेज और सिंगापुर एयरलाइंस ने अपने बोइंग 787 विमानों के फ्यूल कंट्रोल स्विच की जांच शुरू कर दी है।